Mission 2024: वाराणसी में 28 मई को रैली करेंगे VIP चीफ मुकेश सहनी, जानें मोदी-योगी के लिए कितना बड़ा खतरा
सहनी जानते हैं कि बिहार में महागठबंधन की भीड़ में उनके हाथ कुछ खास नहीं लगेगा, इसलिए वो अब प्रदेश के बाहर भी संभावनाएं तलाश रहे हैं. इसके लिए वे एक बार फिर से यूपी की तरफ चल पड़े हैं.
Bihar Politics: बिहार के पूर्व मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने 2024 की तैयारियां शुरू कर दी हैं. सहनी जानते हैं कि बिहार में महागठबंधन की भीड़ में उनके हाथ कुछ खास नहीं लगेगा, इसलिए वो अब प्रदेश के बाहर भी संभावनाएं तलाश रहे हैं. इसके लिए वे एक बार फिर से यूपी की तरफ चल पड़े हैं. वो 28 मई को वाराणसी में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले हैं. वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने इस बात की जानकारी दी.
देव ज्योति ने बताया कि ये कार्यक्रम 12 बजे बनारस के दंदुपुर चांदमारी स्थित सेलिब्रेशन लॉन रिंग रोड फेज वन में आयोजित होगा. इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से पार्टी कार्यकर्ता शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि विकासशील इंसान पार्टी उत्तर प्रदेश के अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से विचार विमर्श करेगी. साथ ही साथ प्रदेश की राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि यूपी की राजनीति में निषाद वोटों का अच्छा खासा महत्व है.
सहनी के यूपी आगमन से साफ है कि एक बार फिर से उनके टारगेट में सीधे पीएम मोदी और सीएम योगी हैं. सहनी की निगाहें यूपी के पूर्वांचल हिस्से पर है क्योंकि यहां निषाद वोटबैंक का काफी प्रभाव है. निषाद समुदाय में केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, नोनिया, मांझी, गोंड समेत 22 उप जातियां आती हैं, जो पूर्वांचल की करीब 60 सीटों को बेहद प्रभावित करती हैं. मछुआ समाज की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2018 के उपचुनाव में गोरखपुर में बीजेपी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था. बस यही वजह है कि सहनी यूपी खिंचे चले आते हैं.
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इससे पहले वो पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत आजमा चुके हैं. बीजेपी का निषाद पार्टी के साथ गठबंधन के चलते यूपी में सहनी की दाल गल नहीं पाई थी. उनकी पार्टी के सभी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था, कईयों की तो जमानत तक जब्त हो गई थी. यूपी में शर्मनाक हार का सामना करने के बाद बिहार में उनको करारा झटका लगा था, उनकी पार्टी के तीनों विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था और गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने पर उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था.