Yellow Letter: नीतीश सरकार के लिए बाहर से ही विपक्षी दलों ने पहले ही मुसीबत बढ़ा रखी थी अब सरकार के भीतर भी अधिकारी और मंत्री के बीच मामला ऐसा बिगड़ा है कि यह सियासत के केंद्र में आ गया है. दरअसल बिहार में शिक्षा विभाग के मंत्री चंद्रशेखर और विभाग के सचिव केके पाठक के बीच ठन गई है. इसके बाद से बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है. 


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बता दें कि चंद्रशेखर ने शिक्षा विभाग के सचिव केके पाठक को पीत पत्र लिख दिया, अब यह पीत पत्र क्या होता है और इसकी क्या अहमियत है पहले इसे जान लेना जरूरी है. दरअसल किसी भी सरकार के लिए पीत पत्र यानी येलो पेपर की अहमियत कितनी है इसको ऐसे समझिए की सरकार के किसी भी मंत्री की हर बात को मानने के लिए विभागीय अधिकारी की बाध्यता नहीं होती है लेकिन अगर मंत्री उसी बात को पीत पत्र पर लिखकर इसके जरिए अधिकारियों को निर्देश दे दें तो वह मानने की बाध्यता अधिकारियों की हो जाती है. 


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दरअसल पूरा मामला यहीं से शुरू हुआ और इसमें सत्ताधारी दो दल जदयू और राजद आमने-सामने आ गए हैं. बता दें कि अपने विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली से नाराज शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने विभागीय सचिव केके पाठक को पीत पत्र लिख दिया. हालांकि सबसे बड़ी बात यह रही कि यह पीत पत्र गोपनीय होने के बाद भी मीडिया में लीक हो गया. इसके बाद इसको लेकर तहलका मचना शुरू हो गया. आनन-फानन में नीतीश कुमार को शिक्षा मंत्री को बैठक के लिए बुलाना पड़ा और फिर क्या था जब चंद्रशेखर वहां से बाहर निकले तो इस विवाद पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए. 


बता दें कि आईएएस केके पाठक ने शिक्षा मंत्री के पीत पत्र के जवाब में पीत पत्र जारी कर दिया. जिससे मामला और ज्यादा बढ़ गया. केके पाठक को जून में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है. जब से केके पाठक को इस विभाग की जिम्मेदारी दी गई है वह लगातार कडक फैसले ले रहे हैं. ऐसे में मंत्री और अधिकारी के बीच जारी यह गतिरोध अब सियासत के केंद्र में आ गया है. 


बता दें कि के के पाठक नीतीश कुमार के विश्वासपात्र माने जाते हैं. बिहार सरकार के इस कड़क अधिकारी को इसलिए नीतीश कुमार ने शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षा विभाग में लाकर यह अहम जिम्मेदारी सौंपी है. के के पाठक ने ही नई शिक्षक भर्ती के जो बीपीएससी की तरफ से बिहार में होनी है उसकी पूरी रूपरेखा तैयार की है. उनके बनाए फॉर्मूले पर ही आगे बीपीएससी को काम करना है.