Opposition Unity: नई संसद भवन के उद्घाटन को लेकर 20 विपक्षी दलों की एकता को 'सुप्रीम' झटका लगा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही बड़ी कठोरता से कहा कि इसको लेकर वह आदेश देना उसका काम नहीं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सख्त नजर आया और पहले ही पूछा कि क्या ऐसी याचिका को जुर्माना लगाते हुए खारिज नहीं कर देना चाहिए? कोर्ट ने साफ कह दिया कि काफी देर तक सुनने के बाद भी याचिकाकर्ता इस बाद को साबित नहीं कर पाए कि इस मामले में अदालत को क्यों दखल देना चाहिए.साथ ही फैसले में कहा कि किसी भी इमारत का उद्घाटन राष्ट्रपति को ही करना चाहिए यह भी इससे साबित नहीं होता है.  इससे पहले भी बिहार सरकार को जातिगत जनगणना और आनंद मोहन की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट से सख्त लहजे में जवाब सुनने को मिला है. ऐसे में विपक्षी एकता को लगातार एक के बाद एक सुप्रीम झटका लगता जा रहा है. 


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दरअसल नीतीश कुमार इन दिनों कांग्रेस के कहने पर विपक्षी एकता के लिए लगातार देशभर के विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं. हालांकि इसमें से नीतीश कुमार के समुद्र मंथन से क्या निकलेगा यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना है कि इसके बाद भी नीतीश को सभी का साथ मिलता नहीं दिखा रहा है. आम आदमी पार्टी ने नीतीश को विपक्षी एकता के साथ खड़ा होने का आश्वासन दिया और फिर अपनी पार्टी के अकेले पूरे देश में लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी.  नवीन पटनायक पहले से ही नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की बात को नकार चुके हैं. 


शरद पवार को इस विपक्षी एकता का नेतृत्व करने का नीतीश ने निमंत्रण दिया तो वह यह कहकर इसे खारिज कर गए कि उनकी उम्र अब इसकी इजाजत नहीं देती. उद्धव ठाकरे ने नीतीश को साथ देने का भरोसा तो दिया लेकिन उनकी पार्टी खुद ही दो हिस्सों में बंट चुकी है और उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट से झटका लग चुका है. 


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ऐसे में नीतीश को झटके पर झटका लग रहा है. एक तरफ विपक्ष के साथ शामिल होकर वह इस बात का विरोध दर्ज करा रहे थे कि नई संसद भवन के उद्घाटन का अधिकार पीएम नरेंद्र मोदी को नहीं है जबकि अब साफ हो गया है कि पीएम मोदी ही इसका उद्घाटन करेंगे. मतलब अब उद्घाटन का कार्यक्रम निर्वाध रूप से पूरा होगा. 


इससे पहले 14 दल जिसमें बिहार के सियासी दल भी शामिल थे सुप्रीम कोर्ट सीबीआई-ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल के विरोध में पहुंची थी. तब भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर लगी याचिका को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एजेंसियों की तरफ से की जा रही कार्रवाई को रोकने से साफ मना कर दिया गया था. अब इसके साथ ही टीएमसी के नेता और ममता बनर्जी के भतीजे के नियुक्ति घोटाले में ईडी की पूछताछ मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आज ही फैसला सुनाया और एजेंसी को पूछताछ की इजाजत दे दी. वहीं नई संसद भवन के उद्घाटन के मामले में भाजपा के साथ विपक्षी के ही कई दल जैसे बीजू जनता दल और बसपा खड़ी नजर आ रही हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक के बाद एक 'सुप्रीम' झटके के बाद नीतीश कुमार के सपनों का क्या होगा?