गुरुवार को अलग राज्य बनाने की 2 पैरवी अलग अलग नेताओं ने की. एक पैरवी पश्चिम बंगाल से आई तो दूसरी झारखंड से. एक पैरवी पूर्ण राज्य बनाने की थी तो दूसरा संघ शासित राज्य बनाने की. केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांता मजूमदार ने कहा, हमने पीएम मोदी से मिलकर उत्तर बंगाल के इलाके को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है. इन इलाकों में 8 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी ने 2019 में 7 और 2024 में 6 सीटें हासिल की है. इसी तरह गोड्डा से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ने गुरुवार को लोकसभा में बिहार के सीमांचल और पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों को मिलाकर संघ शासित राज्य बनाने की मांग की. दुबे ने आरोप लगाया कि पूरा मालदा, मुर्शिदाबाद, अररिया, कटिहार, किशनगंज से आकर लोगों ने हिंदुओं पर जुल्म किया है. 


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मजूमदार ने बताया, पीएम मोदी उत्तर बंगाल के प्रस्ताव पर तय समय से निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा होने से केंद्र की योजनाओं का अधिकाधिक लाभ उत्तर बंगाल को मिल पाएगा और वहां तेजी से आर्थिक विकास होगा. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की ममता बनर्जी की सरकार को इस प्रस्ताव से आपत्ति होगी, हमें ऐसा नहीं लगता. 


पिछले 2 लोकसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर बंगाल में भाजपा एक स्थापित पार्टी बन चुकी है और अगर केंद्र सरकार सुकांता मजूमदार के प्रस्ताव पर विचार करती है तो उसे फायदा ही होगा. हालांकि यह दक्षिण बंगाल भाजपा के लिए सिरदर्द भरा साबित हो सकता है.



इसके अलावा एक तथ्य है कि अगर उत्तर बंगाल अलग हुआ तो दक्षिण बंगाल में रार बंगाल को अलग करने की आवाज तेज हो जाएगी. भाजपा सांसद सौमित्र खान इसके पक्ष में अलग से आवाज बुलंद करते रहे हैं. अगर उत्तर बंगाल की मांग को बल मिला तो तय है कि रार बंगाल के लिए भी जोरों से आवाज उठाई जाएगी. 


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उधर, निशिकांत दुबे ने लोकसभा में मांग की कि भारत सरकार को मालवा, मुर्श्दिाबाद से सटे बिहार के सीमांचल वाले इलाकों में मुसलमानों की आबादी को कंट्रोल किया जाए और वहां हो रहे हिंदुओं के खिलाफ जुल्म को समाप्त किया जाए. इसके लिए उन्होंने इन इलाकों को मिलाकर एक संघ शासित राज्य बनाने की भी मांग कर दी. साथ ही इन इलाकों में एनआरसी लागू करने पर भी जोर दिया.