Bihar Politics: बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावों को लेकर अभी से सियासी पारा चढ़ गया है. नेता-प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पिछली बार चंद कदमों से सीएम पद की रेस हार गए थे, उनकी कोशिश है कि इस बार एनडीए को बहुमत से पहले ही रोक दिया जाए. इसके लिए वो अभी से माहौल बनाने में जुट गए हैं. वे इन दिनों आभार यात्रा के जरिए जनसमर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जल्द ही यात्रा निकालने वाले हैं. उधर पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और बेगूसराय से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह भी यात्रा निकालने वाले हैं. उधर मोदी सरकार ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर अब आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है. जानकारी के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसे मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है और संसद में इसे शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो हो सकता है कि 2029 तक चुनाव ही ना कराना पड़े. इससे नीतीश कुमार 2029 तक सीएम बने रहने का मौका मिल सकता है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था. इनमें से 32 ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था. जबकि, 15 पार्टियां इसके विरोध में थीं. वहीं 15 ऐसी पार्टियां थीं, जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था. बीजेपी के अलावा बिहार के तीन दलों- जेडीयू, लोजपा और हम ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन होना ही चाहिए. 1967 तक विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए, लेकिन इसके बाद से अलग-अलग चुनाव होने लगे. मांझी ने कहा कि चुनावों के कारण साल में 9 महीने देश में आचार संहिता लगा रहता है, जिसके कारण विकास का कार्य बाधित होता है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि एक देश-एक चुनाव पर उनकी पार्टी और एनडीए की राय एक समान है. उन्होंने कहा कि हम यह मानते हैं कि इससे देश में नीतियों की निरंतरता जारी रहेगी. बार-बार होने वाले चुनाव से विकास की योजनाओं की गति में रुकावट पैदा होती है.  


ये भी पढ़ें- 'पच्चीस' में भी नीतीश, बड़े दल और छोटे दल का कोई मतलब नहीं: जेडीयू


वहीं पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने जो प्रस्ताव दिए हैं, उसके मुताबिक पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं. दूसरे फेज में 100 दिनों के अंदर निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं. हंग असेंबली, नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं. इसके साथ ही इलेक्शन कमीशन लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों की सलाह से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार कर सकता है. जानकारी के मुताबिक, कमेटी की ये सिफारिशें 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद लागू होंगी. 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति एक नियत तारीख तय करेंगे, जिससे राज्यों और केंद्र के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे. इसके लिए कम से कम 5 से 6 संवैधानिक संशोधन की जरूरत पड़ेगी.


बिहार-झारखंड की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Bihar-Jharkhand News in Hindi और पाएं Bihar-Jharkhand latest news in hindi हर पल की जानकारी. बिहार-झारखंड की हर खबर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!