पटना: बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल युनाइटेड में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का शामिल होना काफी चर्चा में रहा था, मगर हाल के दिनों में पार्टी के अंदर चल रही सियासी हलचलों से यह बात साफ है कि पीके भले ही चुनावी रणनीति बनाने में सफल रहे हों, मगर राजनीति उनके लिए आसान नहीं. हाल में आए उनके बयानों के बाद पीके पार्टी में 'अकेला' पड़ते नजर आ रहे हैं. 


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जेडीयू के जानकार सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि प्रशांत किशोर की 'एंट्री' के समय से ही पार्टी के कई नेता नाखुश थे. उपाध्यक्ष पीके के हालिया बयानों से लग रहा है कि उनके और पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के बीच शायद सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. यही वजह है कि पीके के खिलाफ पार्टी में स्वर मुखर होने लगे हैं.


माना तो यह भी जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन मार्च को पटना के गांधी मैदान में आयोजित 'संकल्प रैली' के मंच पर पीके को जगह पार्टी नेताओं की नाराजगी के कारण नहीं दी गई थी. मुख्यमंत्री नीतीश से पीके की नजदीकी किसी से छिपी नहीं थी, यही कारण है कि जब उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत जेडीयू से की तो उनसे नाराज लोग भी नीतीश से नजदीकी के कारण कुछ नहीं बोल पा रहे थे. 


 



जेडीयू में सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा
पीके के हालिया बयानों से स्पष्ट है कि जेडीयू में सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा है. बेगूसराय के शहीद पिंटू सिंह के पार्थिक शरीर के पटना हवाईअड्डा पहुंचने पर जब सरकार और पार्टी की ओर से श्रद्धांजलि देने वहां कोई नहीं गया, तब पीके ने पार्टी की ओर से माफी मांगी थी और इसके लिए उन्होंने ट्वीट भी किया था. दरअसल, पार्टी उपाध्यक्ष पीके ने कहा था कि 'आरजेडी नीत महागठबंधन से अलग होने के बाद जेडीयू को एनडीए में न जाकर नया जनादेश लेना चाहिए था'. उनके इस बयान के बाद तो जेडीयू के कई नेता असहज हो गए. 


पीके की बयानबाजी पड़ रही भारी 
जेडीयू के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि किसी भी पार्टी के उपाध्यक्ष का पार्टी के लिए गए बड़े निर्णय के खिलाफ दिया गया यह बयान समर्पित नेता और कार्यकर्ता को कभी स्वीकार्य नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि पार्टी से ऊपर कोई भी नहीं हो सकता. जेडीयू के महसचिव आरसीपी़ सिंह ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीके का नाम लिए बगैर कहा, "जो लोग ऐसा कह रहे हैं, वे उस समय पार्टी में भी नहीं थे. उन्हें इसकी जानकारी नहीं होगी. सभी नेताओं की सहमति से पार्टी महागठबंधन से अलग हुई थी और फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हुई थी." 


पीके ने तीन दिन पूर्व मुजफ्फरपुर में युवाओं के साथ कार्यक्रम के दौरान कहा था कि उन्होंने देश में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनाए हैं, अब वह युवाओं को भी सांसद, विधायक बनाएंगे. इस बयान के बाद भी पार्टी के कई नेता उनके विरोध में उतर आए. जेडीयू के प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा, "पार्टी के रोल मॉडल नीतीश कुमार हैं. किसी को विधायक और सांसद बनाना जनता के हाथ में है. पार्टी उनके इस बयान से इत्तेफाक नहीं रखती. नेता बनाना किसी व्यक्ति के हाथ में नहीं, यह जनता के हाथ में है." 


उन्होंने कहा, "बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पर पांच साल के लिए जनादेश मिला है. फिर बीच में किस बात का फ्रेश मैंडेट? भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला पार्टी की कार्यकारिणी और विधायक दल का फैसला था. पीके क्या बोलते हैं वे जानें. वे तो उस समय पार्टी में थे भी नहीं." 


'अपनों' के निशाने पर प्रशांत
नीरज कुमार ने पीके के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि मनुष्य को अपने बारे में भ्रम हो जाता है. विधायक, सांसद जनता बनाती है और उसे पार्टी टिकट देती है. उल्लेखनीय है कि बिहार में विपक्ष लगातार नीतीश कुमार पर 'जनादेश की चोरी' कर सरकार चलाने का आरोप लगाता रहा है और महागठबंधन से अलग होने पर नया जनादेश हासिल करने की बात कहता रहा है. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि पीके के इन बयानों को विपक्ष मुद्दा बनाएगा, जिसका जवाब देना जेडीयू के लिए आसान नहीं होगा.