Katihar: कटिहार में स्कूल शिक्षक को बोरा बेचना महंगा पड़ गया. बोरा बेचने का वीडियो खूब वायरल (Video Viral) हो रहा गया जिसके बाद शिक्षा विभाग ने कटिहार के मोहम्मद तमीजउद्दीन (Katihar Teacher) सस्पेंड कर दिया. वीडियो में शिक्षक बोरा बेचते नजर आ रहे हैं और बोरा इसलिए बेच रहे हैं, क्योंकि सरकार का आदेश आया था और आदेश का पालन नहीं हुआ. कार्रवाई से बचने के लिए शिक्षक ने मार्केट में बोरा बेचने का काम शुरू कर दिया लेकिन वीडियो वायरल हुआ तो शिक्षा विभाग की नींद खुली और तुरंत ही शिक्षक को निलंबित कर दिया गया. शिक्षा विभाग का आरोप है कि बच्चों पर इसका असर खराब होगा. अपने निलंबन के बाद गाना गाकर शिक्षक ने सीएम नीतीश कुमार से गुहार लगाई है.


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हमसे का भूल हुई, जो ये सजा हमको मिली
दरअसल, निलंबित शिक्षक तमीजउद्दीन ने सरकार के फरमान का विरोध किया जो कि विभाग को रास नहीं आया. अगर शिक्षक बोरा बेचने लगेंगे तो पढ़ाई क्या विभाग में बैठे अधिकारी करवाएंगे? जनगणना हो, पशुओं की गिनती हो या फिर कोई जानकारी जमा करना सवाल आता है तो शिक्षक ही नजर आते हैं और जब शिक्षक ने वही काम किया तो विभाग को रास नहीं आया. निलंबित शिक्षक तमीजउद्दीन अब फिर सीएम नीतीश कुमार को आकर्षित करने के लिए 'हमसे का भूल हुई जो सज़ा हमका मिली' गाना गाकर गुहार लगा रहे हैं .


मार्केट में 'बोली' लगाना शिक्षक पर पड़ा था भारी
शिक्षक मोहम्मद तमीजउद्दीन प्राथमिक विद्यालय कांताडीह कदवा प्रखंड में तैनात हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी देवबिंद कुमार सिंह के मुताबिक शिक्षक का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह अपने सिर पर खाली बोरा के बंडल को लेकर और बोली लगाकर बेचते हुए देखे गए. जिसे देखते हुए डीपीओ एमडीएम ने शो कॉज किया था. लेकिन पीड़ित शिक्षक का कहना है कि शिक्षा विभाग से आदेश आया था कि बोरा नहीं बिकेगा तो वेतन नहीं मिलेगा. जिला शिक्षा पदाधिकारी देवबिंद कुमार सिंह ने भी माना कि यह आदेश साल 2014 में भी आया, 2016 में आया और इस साल भी आया कि 10 रूपये प्रति बोरा बेचना है.


क्या है फरमान?
बीते 23 जुलाई को शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया गया. इसमें सभी स्कूलों को कहा गया है कि वो 2014-15 और 2015-16 में मिले चावल के खाली बोरे को 10 रुपये प्रति दर से बेचकर पैसा जमा कराने को कहा गया है और ऐसा नहीं करने पर इसे गबन मानने की बात कहते हुए कार्रवाई करने की बात कही गई है. इसी आदेश का पालन शिक्षक तमीजउद्दीन कर रहे थे. मार्केट गए, बोरे की बोली लगाने लगे लेकिन ये बात शिक्षा विभाग को रास नहीं आई. अब सवाल उठता है कि अगर सरकारी आदेश था तो फिर बोरा बेचना गुनाह कैसे हो गया? क्या आदेश में बताया गया था कि बोरा कैसे बेचना है? और बच्चों पर असर होने का फिक्र इतना ही था तो फिर शिक्षकों को क्यों बोरा बेचने का फरमान दिया गया?


(इनपुट- राजीव रंजन)