Saharsa: बिहार के सहरसा जिले में बीते दिनों एक मासूम बच्ची साक्षी को उसके मां बाप ने बेटी देखकर अस्पताल के बाहर छोड़ दिया था. उसी साक्षी को आज मुम्बई के निजी बैंककर्मी इग्नाटियस कोएल्हो दंपति ने गोद लेकर अपने ऊपर लगे निःसंतान शब्द को हटा दिया और मासूम बच्ची साक्षी को नए माता-पिता मिल गए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल, बीते दिनों सौरबाजार प्रखंड पीएचसी में साक्षी को जन्म देने वाली मां उसे अस्पताल परिसर में लावारिस हालत में छोड़कर चली गई थी जिसके बाद उस बच्ची को अस्पताल कर्मियों ने सहरसा स्थित दत्तक केंद्र में भिजवा दिया. इसी बीच मुम्बई के दंपति जिनकी शादी को 10 साल हो गए लेकिन उन्हें संतान नही है, उन्होंने एक बच्ची को गोद लेने का सोचा. 3 साल पहले उन्होंने सहरसा स्थित दत्तक केंद में संतान की प्राप्ति के लिए रेजिस्ट्रेशन कराया था. सरकार के द्वारा संतान प्राप्ति के सभी मानकों को पूरा करने के बाद उन्हें दत्तक केंद्र से साक्षी के रूप में संतान की प्राप्ति हुई. बेटी को गोद लेने के बाद दंपति काफी खुश थे.


मिसेस कोएल्हो ने बताया कि 'आज साक्षी को अपनी बेटी के रूप में पाकर मैं अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर पाऊंगी. मेरे पास शब्द ही नही है.' इस दौरान जिलापदाधिकारी कौशल कुमार ने नन्ही बच्ची साक्षी को उक्त दंपति को सौंपकर प्रक्रिया को पूरा किया.


जिलापदाधिकारी ने बताया कि '3 माह की बच्ची जो अस्पताल से आई थी, उसकी दत्तक केंद्र में देखभाल की जा रहा थी और मुम्बई से जो बैंक कर्मी आए हैं उन्होंने बच्ची को गोद लिया है. आज का दिन हमलोगों के लिए बड़ा ही खास है. मैं बच्ची के होने वाले माता-पिता एवं दत्तक केंद्र के सभी कर्मियों के मंगलमय की कामना करता हूं.' जिलापदाधिकारी कौशल कुमार ने बच्ची को अपनी गोद मे लेकर आशीर्वाद दिया और फिर मुंबई से आए दंपत्ति को सौंप दिया.


बता दें कि अभी तक सहरसा स्थित दत्तक केंद्र से 50 बच्चों को लोगों ने अडॉप्ट किया है. जिसमें 9 बच्चों को विदेश के दंपति ने तथा 41 बच्चों को भारत के अन्य राज्यों के लोगों ने गोद लिया है.


इस तरह देखा जाए तो ऐसे माता-पिता को यह संदेश है कि बेटियां माता-पिता के लिए कभी अभिशाप नहीं होती. लोगों को इस तरह की दकियानूसी बातों से बाहर निकलने की जरूरत है. आज समाज मे बेटियां कदम से कदम मिलाकर चल रही है.


(इनपुट- विशाल कुमार)