भगवान भरोसे सहरसा का सदर अस्पताल! टेक्नीशियन नहीं होने से ICU में लगी मशीनें हुई बंद
बिहार के सहरसा सदर अस्पताल के आईसीयू वार्ड में लाखों करोड़ों की मशीने लगी हुई है. जो महज एक शोभा की वस्तु बनकर रह गई हैं. टेक्नीशियन नहीं होने के कारण मशीन यूं ही आईसीयू वार्ड में रखी हुई है.
Saharsa: बिहार के सहरसा सदर अस्पताल के आईसीयू वार्ड में लाखों करोड़ों की मशीने लगी हुई है. जो महज एक शोभा की वस्तु बनकर रह गई हैं. टेक्नीशियन नहीं होने के कारण मशीन यूं ही आईसीयू वार्ड में रखी हुई है. जिसके कारण मरीजों का अच्छी तरह इलाज नहीं हो पा रहा है.
आईसीयू वार्ड बन गया जनरल वार्ड
दरअसल, पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के कारण देश के हालात बेहद खराब हो गए. कोरोना महामारी के चलते गंभीर मरीजों को देखते हुए सहरसा सदर अस्पताल के बंद आईसीयू वार्ड को जिलाधिकारी के प्रयास से शुरू किया गया था. आईसीयू वार्ड में पांच बेड लगे हुए हैं. मरीजों के बेहतर इलाज के लिए आधुनिक मशीनों सहित पांच वेंटिलेटर भी लगाए गए थे. इसके अलावा इनको ऑपरेट करने के लिए तीन टेक्नीशियन की भी बहाली की गई थी. हालांकि जब से कोरोना के हालातों में सुधार आया है उसके बाद टेक्नीशियन को हटा दिया गया है. जिसके बाद यह लाखों करोड़ों की मशीनें महज शोभी की वस्तु बनकर रह गई हैं. सदर अस्पताल का आईसीयू वार्ड महज एक जनरल वार्ड बनकर रह गया है.
टेक्नीशियन को हटा दिया गया
इस मामले के बारे में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल के आईसीयू वार्ड में सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा है. हालांकि आईसीयू वार्ड में सभी मशीनें बंद पड़ी थी. आईसीयू वार्ड में मौजूद नर्सिंग स्टॉफ का कहना है कि शुरूआती कोरोना लहर के दौरान इन मशीनों को ऑपरेट करने के लिए टेक्नीशियन को रखा गया था. जिसे फिलहाल हटा दिया गया है.
आईसीयू में हैं पांच बेड
वहीं, गंभीर रूप से बीमार मरीजों के आने पर उन्हें बाहर भेज दिया जाता है. इस पूरे मामले में सिविल सर्जन डॉ किशोर कुमार मधुप का कहना है कि आईसीयू में पांच बेड हैं. इसमें मरीजों को भर्ती किया जाता है, लेकिन टेक्नीशियन फिलहाल उपलब्ध नहीं है. उस दौरान सरकार के निर्देशों पर तीन टेक्नीशियन की भर्ती की गई थी, जोकि कोराना के मरीजों में कमी आने के बाद विभाग के द्वारा हटा दी गए थे.
जल्द होगी टेक्नीशियन की नियुक्ति
उन्होंने कहा कि विभाग से टेक्नीशियन की नियुक्ति के लिए आग्रह किया गया है. जिसके लिए काम किया जा रहा है और जल्द ही टेक्नीशियन उपलब्ध हो जाएगा. मरीजों के सवालों पर सिविल सर्जन का कहना था कि वेंटिलेटर का इस्तेमाल बहुत कम होता है. इस प्रकार के हालात कम पैदा होते हैं. यदि वेंटिलेटर के इस्तेमाल की स्थिति पैदा होती है तो निजी टेक्नीशियन को बुलाकर उनसे काम लिया जाता है.
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