सुपौल: सुपौल जिले के एक ऐसे सरकारी स्कूल के बारे में बता रहे है जहां की शिक्षिका स्मिता ठाकुर बच्‍चों को खेल-खेल में शिक्षा देने के लिए प्रसिद्ध हो चुकी हैं. इनका नाम देश ही नही विदेशों तक फैल चुका है और अब 27 से 29 जुलाई को दिल्ली में होने वाले कलाम यूथ इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित होने वाली है. इनकी शिक्षा देने के तरीकों से बच्‍चों को भी इसमें खूब मन लग रहा है. आनंद आ रहा है,  मनोरंजन के साथ-साथ जानकारी मिल रही है. याद करने में कोई परेशानी नहीं होती है. बच्‍चे खेल में भाग लेते हैं और सीख जाते हैं एक पाठ्यक्रम. उनकी पढ़ाने की इस कला के कारण चर्चा चारों तरफ हो रही है.


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सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड अंतर्गत मध्‍य विद्यालय सखुआ में प्रभारी प्रधानाध्‍यापिका स्मिता ठाकुर हैं. वे ना सिर्फ विद्यालय संचालन में दक्ष हैं बल्कि बच्‍चों को गुणवत्‍तापूर्ण पढ़ाई देने में भी उन्‍हें महारथ हासिल है. वे शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों का प्रयोग करती हैं. वे पढ़ाने के तरीके का वीडियो बनाकर शेयर करती हैं, ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा बच्‍चे इससे लाभान्वित हो. वो बोझिल तरीकों से बच्‍चों को पढ़ाना नहीं चाहती, रोज नए-नए प्रयोग करती हैं. उनका मानना है कि बच्‍चों को प्रयोग के माध्‍यम से पढ़ाना ज्‍यादा लाभकारी है. चेतना सत्र और अन्‍य शिक्षण काल में वे बिना किसी खर्च के मामूली संसाधन का प्रयोग कर कठिन से कठिन जानकारी सहज रूप में बता देती हैं. बच्‍चे भी आसानी ने उसे याद कर लेते हैं.


विद्यार्थी काल से ही स्मिता ठाकुर का खेल से लगाव रहा है. कई बार उन्‍होंने राष्‍ट्रीय स्‍तर पर एथलेटिक्स का बेहतर प्रदर्शन किया है. वे इसमें राष्‍ट्रीय मेडिलिस्ट हैं. वॉलीबॉल में बिहार राज्‍य का इन्होंने कई बार प्रतिनिधित्‍व किया है. बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी हैं. कहानी और कविताएं भी लिखती हैं. एनएसएस और नेहरू युवा केंद्र से जुड़ी रहीं. योग का भी इन्‍होंने प्रशिक्षण लिया है. 


बिहार के अन्य विद्यालयों में खूब संसाधन मौजूद हो पर बच्चे नदारद रहते है लेकिन मध्य विद्यालय सखुआ में 755 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. आठ शिक्षक हैं और मात्र 30 बेंच और 30 डेक्‍स है. खेल साम्रगी नहीं है, आनंदशाला कक्ष नहीं है. शिक्षक शिक्षण अधिगम सामग्री के माध्‍यम से बच्‍चों को पढ़ाते है. जिनमें वो सम्मिलित रुप से राशि खर्च करते है. विद्यालय की सभी शिक्षक शिक्षिका इस कार्य में उनका साथ देती है.


इनपुट- मोहन प्रकाश


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