पटना: रविवार को कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें आरजेडी और हम का शीर्ष नेतृत्व शामिल नहीं हुआ. इसके साथ ही सवाल ये भी खड़े होने लगे हैं कि अब जबकि बिहार में विधानसभा चुनाव में साल भर का ही समय बचा है ऐसे में महागठबंधन किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा.


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बिहार में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर ही सवाल खड़े किए हैं. भारतीय जनता पार्टी के नेता और बिहार विधान परिषद के सदस्य नवल किशोर यादव ने कहा है कि, महागठबंधन में सिर्फ गांठ है यहां कार्यकर्ता से ज्यादा नेता हैं और हर किसी की ख्वाहिश मुख्यमंत्री बनने की है. नवलकिशोर यादव ने महागठबंधन पर तंज करते हुए कहा है कि, चार घर का टोला जो कहे स होवेला. अगले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की भद पिट जाएगी. 


 



वहीं, जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने महागठबंधन की सबसे बड़ी आरजेडी के 20 सीट जीतने भी नहीं जीतने की भविष्यवाणी कर दी है. राजीव रंजन ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में बिहार की 243 सीट में से 220 पर एनडीए आगे रहा. अब 23 सीट भी महागठबंधन के खाते में आ जाए तो बड़ी बात होगी. राजीव रंजन ने कहा है कि आरजेडी दो अंकों में पहुंच जाए तो भी बड़ी बात होगी.


उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जनता ने तेजस्वी के चेहरे को नकार दिया है. दूसरी ओर आरजेडी ने साफ किया है कि तेजस्वी के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा. ये बात आरजेडी की एग्जक्यूटिव कांउसिल की बैठक में तय हो चुका है. बिहार विधान परिषद में विरोधी दल के मुख्य सचेतक सुबोध राय ने कहा है कि, तेजस्वी के नाम पर किंतु-परंतु नहीं है. भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू सोचे कि उनके यहां मुख्यमंत्री कौन होगा. दोनों पार्टियां एक दूसरे पर सवाल खड़ी कर रही हैं. कोई कहा रहा है कि, नीतीश कुमार को दिल्ली जाना चाहिए तो कोई कुछ और. 


उन्होंने महागठबंधन एक है और ये पूरी तरह एकजुट भी है. बिहार में विधानसभा चुनाव में एक साल का ही समय बचा है. महागठबंधन ने कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की लेकिन जिस तरह इससे हम और आरजेडी के शीर्ष नेता दूर रहे उससे सवाल तो खड़े ही होते हैं. दूसरी ओर आरजेडी ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में एक बार फिर उठने वाले सारे सवालों को भी खारिज करने का प्रयास किया है.