Ranchi: झारखंड उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सवाल किया कि क्या वह बिरसा मुंडा जेल के कुछ कैदियों द्वारा एजेंसी के अधिकारियों को झूठे मामलों में फंसाने की कथित साजिश पर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ साझा करेगी. 


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अदालत ने इन आरोपों पर गौर किया था कि यहां बिरसा मुंडा जेल के कैदियों द्वारा ईडी अधिकारियों को झूठे मामलों में फंसाने का प्रयास किया जा रहा था. अदालत ने आठ नवंबर को एजेंसी को मामले की जांच करने और सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. 


हाईकोर्ट ने 7 नवंबर को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी से इस प्रकरण में सीलबंद रिपोर्ट मांगी थी. दरअसल, ईडी ने पीएमएलए कोर्ट में दिए गए आवेदन में कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में बंद कुछ अभियुक्त ईडी के अफसरों को झूठे मुकदमे में फंसाने और उन्हें नुकसान पहुंचाने की साजिश रच रहे हैं.


ईडी द्वारा सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपने के बाद, मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की खंडपीठ ने उस पर गौर किया तथा उसे एजेंसी के वकील को लौटा दिया. इसके बाद पीठ ने उनसे सवाल किया कि क्या रिपोर्ट राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ साझा की जा सकती है. 


इस मामले में अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी. उस दिन ईडी अपनी रिपोर्ट सरकारी अधिकारियों के साथ साझा करने के अपने फैसले के बारे में अदालत को सूचित करेगी. ईडी के अनुसार, गोपनीय रिपोर्ट बहुत संवेदनशील है क्योंकि इसमें अपने अधिकारियों को झूठे मामलों में फंसाए जाने के आरोपों की ईडी की जांच और उसके निष्कर्ष शामिल हैं. 


(इनपुट भाषा के साथ)