Ranchi: झारखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ दायर एक आपराधिक मामले को दुमका से बोकारो स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था. यह मामला 2019 में झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक (जेवीएम-पी) पार्टी की एक महिला कार्यकर्ता के कथित यौन शोषण से संबंधित है और दुमका की एक अदालत में लंबित है. 


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इस महीने की शुरुआत में, अदालत ने यौन उत्पीड़न मामले को रद्द करने के लिए यादव द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था. न्यायमूर्ति सुभाष चंद की पीठ ने दलीलें सुनने के बाद पूर्व में फैसला सुरक्षित रख लिया था. पोरैयाहाट से जेवीएम-पी के टिकट पर 2019 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए यादव पर दुमका में एमपी-एमएलए अदालत में मुकदमा चल रहा है. 


महिला ने आरोप लगाया कि अप्रैल 2019 में लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करने के लिए देवघर के एक होटल में मिलने के बाद यादव ने उससे बलात्कार करने की कोशिश की हालांकि, वह मौके से भागने में सफल रही. इसके बाद एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. महिला ने यह भी आरोप लगाया कि विधायक और उनके समर्थकों ने उन्हें धमकी दी थी. 


यादव के वकील बिमलकीर्ति सिंह ने उच्च न्यायालय को बताया था कि उनका मुवक्किल राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार है और उसे फंसाया गया है. पीड़िता के वकील गौतम कुमार ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस बात के सबूत हैं कि यादव ने महिला को प्रलोभन देकर उसका शोषण करने की कोशिश की. उच्च न्यायालय के अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के बाद यादव ने जुलाई 2019 में विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया और उसी वर्ष सितंबर में उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी.


(इनपुट: भाषा)