Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने 1 जुलाई, 2024 दिन सोमवार को राज्य सरकार से मौखिक तौर पर पूछा कि वह राज्य में सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग, लोकायुक्त सहित 12 संवैधानिक संस्थाओं में प्रमुख पदों पर नियुक्ति के मामले में कछुआ चाल से क्यों चल रही है?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से खाली पदों को भरने के लिए जो टाइम फ्रेम बताया जा रहा है, वह बहुत ज्यादा है. इन संवैधानिक संस्थाओं में पिछले 3 से 5 साल से प्रमुख पद रिक्त हैं, इसलिए टाइम फ्रेम की अवधि कम रखनी होगी. हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार को मंगलवार को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने संवैधानिक संस्थाओं में रिक्त पदों को भरने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिकाओं और राजकुमार नामक शख्स की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.


याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह ने कोर्ट को बताया कि सरकार की ओर से कोर्ट को पहले बताया गया था कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से चयन समितियों का कोरम पूरा नहीं हो पा रहा है और इस वजह से सूचना आयुक्त, लोकायुक्त सहित कई संवैधानिक पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाई है.


यह भी पढ़ें:Jharkhand Politics: शहीदों और आदिवासी नायकों के नाम पर सिर्फ राजनीति, बाबूलाल मरांडी ने हेमंत-चंपई पर बोला हमला


नेता प्रतिपक्ष का नाम तय करने में करीब डेढ़ साल का समय बीत गया और सरकार अब भी इन पदों पर नियुक्ति के लिए एक माह से अधिक का टाइम फ्रेम निर्धारित कर रही है. सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया है. इस पर कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि सिर्फ सूचना आयुक्त ही नहीं, सरकार लोकायुक्त, राज्य मानवाधिकार आयोग एवं अन्य संवैधानिक संस्थाओं में रिक्त पदों को जल्द भरने की प्रक्रिया पूरी करे.


इनपुट: आईएएनएस