IAS Pooja Singhal: भारतीय प्रशासनिक सेवा की अफसर पूजा सिंघल को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने खूंटी जिले में हुए मनरेगा घोटाले में तत्कालीन उपायुक्त के रूप में पूजा सिंघल की भूमिका की जांच के लिए स्वतः संज्ञान वाली जनहित याचिका (PIL) को निष्पादित कर दिया है. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की बेंच ने सोमवार को कहा कि इस मामले में पुलिस और एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से जांच की गई है. मामले में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. इसमें अब कोई मुद्दा बाकी नहीं है, इसलिए इस मामले को निष्पादित किया जाता है.


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बता दें कि खूंटी में मनरेगा योजनाओं में 200 करोड़ रुपए से अधिक की वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था. उस दौरान पूजा सिंघल खूंटी की उपायुक्त थीं. इस मामले को लेकर खूंटी जिले के विभिन्न पुलिस थानों में 16 एफआईआर दर्ज की गई थी. बाद में एंटी करप्शन ब्यूरो को इस मामले की जांच सौंपी गई.


प्रार्थी ने आरोप लगाया था कि एसीबी से पूरे मामले की जांच कराई, लेकिन उसमें तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल की भूमिका की जांच नहीं की गई. उपायुक्त ने मनरेगा में भुगतान से संबंधित चेक पर हस्ताक्षर किया था. उनकी भूमिका की ईडी से जांच कराने का आग्रह किया गया था. बाद में हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था.


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बता दें कि ईडी ने इसी मनरेगा घोटाले में पूजा सिंघल को 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया था. इसके पहले एजेंसी ने उनके आवास सहित विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान उनके पति अभिषेक झा के सीए सुमन कुमार के आवास से करीब 18 करोड़ नगद बरामद किए गए थे. करीब 28 महीने तक जेल में बंद रहने के बाद सिंघल को सितंबर 2024 में पीएमएलए कोर्ट से जमानत मिली थी. हाल में झारखंड सरकार ने उनका निलंबन भी वापस ले लिया है.


इनपुट: आईएएनएस


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