रांची: Jharkhand News: यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) परीक्षा को विश्व की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना गया है. दुनिया भर के उम्मीदवारों के लिए यूपीएससी की परीक्षा एक कठिन चुनौती बनी हुई है. हर साल, न जाने कितने ही उम्मीदवार इसके लिए आवेदन पत्र भरते हैं, केवल कुछ चुनिंदा लोग ही आईएएस या आईपीएस अधिकारी बन पाते हैं. आईपीएस अधिकारी मीनाक्षी कात्यायन भी इन असाधारण को उपलब्धि हासिल करने वालों में शामिल हैं, जो एक प्रेरणादायक शख्सियत हैं, वो 2014 बैच की आईपीएस हैं.


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झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली मीनाक्षी की कहानी साहसी आकांक्षाओं वाली एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की की दृढ़ता को दर्शाती है. डॉक्टर बनने के बाद भी वो अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ थीं और अपने जीवन और करियर को लेकर उनका दृष्टिकोण स्पष्ट था. बता दें मीनाक्षी कुछ उन आईपीएस अधिकारियों में शामिल हैं जिन्होंने मेडिकल करने के बाद सिविल सेवाओं में अपना कदम रखा. उनके परिवार की आर्थिक हालात को देखते हुए एमबीबीएस की डिग्री हासिल करना उनके लिए कोई आसान उपलब्धि नहीं थी. मीनाक्षी ने अपनी शिक्षा के लिए पैसे जुटाने के लिए अपनी महत्वाकांक्षाओं के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए बैंक से लोन लिया. एमबीबीएस की पढ़ाई खत्म करने के बाद, एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान), नई दिल्ली में उन्होंने जूनियर डॉक्टर के रूप में काम किया.


मीनाक्षी ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के पहले प्रयास में सफलता हासिल कर ली थी. जिसके बाद 2012 में एक आईपीएस अधिकारी के रूप में उन्होंने अपना काम शुरू किया. यूपी कैडर में नियुक्त होने के बाद अपने करियर में वो लगातार आगे बढ़ीं और 2018 में भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ स्तर पर पदोन्नति अर्जित की. आईपीएस मीनाक्षी कात्यायन को हाल के हुए तबादलों ने सुर्खियों में ला दिया है, जिससे हाल के दिनों में वो चर्चा का विषय बनी हुई हैं.


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