झारखंड सरकार इस योजना से बढ़ा रही प्रदेश की हरियाली, जानें कैसे जुड़ सकते हैं आप
Birsa Harit Gram Yojana : झारखंड में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की तरफ से एक योजना पर काम किया जा रहा है. इस योजना के तहत सरकार की तरफ से किसानों को वैकल्पिक खेती के तौर पर भी तैयार करने और इसमें भी आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी है.
रांची : Birsa Harit Gram Yojana : झारखंड में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की तरफ से एक योजना पर काम किया जा रहा है. इस योजना के तहत सरकार की तरफ से किसानों को वैकल्पिक खेती के तौर पर भी तैयार करने और इसमें भी आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी है. आपको बता दें कि झारखंड सरकार की तरफ से इस योजना की शुरुआत साल 2020 में की गई थी और इस योजना को झारखंड के लाल और क्रांतिकारी भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर रखा गया है. बिरसा हरित ग्राम योजना का केवल और केवल एक उद्देश्य है कि प्रदेश को पूरी तरह से हरियाली युक्त किया जा सके.
बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत सरकार ने 5 करोड़ से ज्यादा फलदार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए हर जिले में 1400 एकड़ के करीब परती भूमि को रखा गया है. बता दें कि इस योजना को पूरी तरह से निगरानी में रखने का काम जिला उपायुक्त को सौंपा गया है. इसके साथ ही लक्ष्य यह है कि जब ये फलदार पेंड फल देने लगेंगे तो इन्हें पास के ग्रामीणों को पट्टे पर दिया जा सके ताकि इसकी देखभाल भी हो जाए और साथ ही इससे आमदनी का स्त्रोत भी बने.
इस योजना के तहत पूरे प्रदेश के 2 लाख एकड़ से ज्यादा भूमि पर आम, अमरूद जैसे फलदार पौधों की बागवानी का लक्ष्य रखा गया है. इसमें केवल फलों के पौधे होंगे ऐसा नहीं है नींबू की तरह के फल वाले पौधे भी इसके तहत लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है. बता दें कि बिरसा हरित ग्राम योजना को झारखंड सरकार ने मनरेगा से जोड़ दिया है ताकि इससे ग्रामीणों को रोजगार भी मिल जाए, प्रदेश में हरियाली भी बढ़े और सरकार को वित्त का भी फायदा मिले.
योजना में ग्रामीणों और खासकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना के तहत प्रदेश के 5 लाख परिवारों को 100-100 पौधों का देने का लक्ष्य रखा गया है. ऐसे में पूरे प्रदेश में 5 करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्य का निर्धारण किया गया है. बता दें कि इसके तहत पौधों के रोपण का काम शुरू कर दिया गया है. इस योजना के तहत बेकार और बंजर पड़ी भूमि को इस्तेमाल करने का लक्ष्य रखा गया है. इस काम में पुरुष किसानों के साथ ही स्त्रियों को भी सहभागी बनाया जा रहा है ताकि उनको भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा सके.