Jharkhand: झारखंड हाई कोर्ट ने 18 जुलाई, 2024 दिन गुरुवार को उस याचिका के संबंध में उचित हलफनामा दाखिल नहीं करने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई जिसमें यह दावा किया गया था कि बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत आ रहे लोगों के कारण संथाल परगना जिलों की सामाजिक जनसांख्यिकी प्रभावित हो रही है. 


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मुख्य न्यायाधीश बिद्युत रंजन सारंगी और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने इससे पहले देवघर, पाकुड़, दुमका, साहिबगंज, गोड्डा और जामताड़ा के उपायुक्तों को अपने-अपने जिलों में अवैध प्रवासियों की वास्तविक स्थिति पर रिपोर्ट पेश का आदेश दिया था. 


कोर्ट ने इस मामले में संथाल परगना के छह जिलों के पुलिस अधीक्षकों को आदेश दिया था कि वे अवैध प्रवासियों की स्थिति के बारे में पुलिस उपायुक्त को जानकारी दें, जिससे वह रिपोर्ट तैयार कर सके. 



कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को भी निर्देश दिया था कि वे पुलिस उपायुक्त के साथ मिलकर इस स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करें. अदालत को बताया गया कि पुलिस उपायुक्त ने हलफनामा दाखिल नहीं किया बल्कि अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा दाखिल किया गया. 


पीठ ने हलफनामा स्वीकार करने से इनकार कर दिया और उन्हें नए सिरे से दाखिल करने का आदेश दिया. पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और पुलिस उपायुक्त द्वारा की गई इस तरह की कार्रवाई अदालत को गुमराह करने के लिए की गई प्रतीत होती है. 


इनपुट: भाषा