रांची: Jharkhand Political Crisis: सीएम रहते अपने नाम खनन पट्टा करने का आरोप...ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का आरोप झेल रहे झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की विधायकी जा सकती है. राज्यपाल कभी भी इस बारे में फैसला कर सकते हैं. जहां ये जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन के लिए आपदा है, वहीं बीजेपी इसमें अवसर तलाश रही है. उसे ये अवसर न मिल जाए इसलिए हेमंत सोरेन सावधान हैं. और इसलिए झारखंड में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स की एंट्री हो गई है. 


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3 बस से विधायक रवाना
शनिवार को सुबह गठबंधन के विधायक सीएम हेमंत सोरेन के घर जुटना शुरू हुए. वहां तैनात पत्रकार तब चौंकन्ने हो गए, जब देखा कि विधायक सामान के साथ आए हैं. अंदर बैठक हो रही थी और बाहर पत्रकार कयास लगा रहे थे. बैठक खत्म हुई तो विधायक दो पैरों पर नहीं, कई पहियों पर बाहर निकले. 


सीएम कर रहे विधायकों की रखवाली
तीन बसों में सवार होकर. पत्रकारों ने गौर से देखा तो एक खिड़की से हेमंत सोरेन का चेहरा भी झांक रहा था. यानी जेएमएम को बीजेपी से इतना डर लग रहा है कि विधायकों की रखवाली का जिम्मा खुद सूबे के सीएम ने संभाल लिया है.


ये सब क्यों हो रहा है?
अब ये समझ लीजिए ये सब क्यों हो रहा है? चुनाव आयोग ने इस बात की जांच की है कि क्या सीएम ने पद पर रहते हुए कोई लाभ लिया है. चर्चा है कि चुनाव आयोग ने अपनी राय राज्यपाल को भेज दी है और अब राज्यपाल इसपर अपना फैसला सुनाएंगे. 


बीजेपी का खेमा बहुत सचेत
जेएमएम को डर है कि सीएम की विधायकी जाने की अफरातफरी के बीच कहीं बीजेपी कुछ विधायक तोड़कर सरकार न गिरा दे. लेकिन एक बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को छोड़ दें तो बीजेपी का खेमा बहुत सचेत नजर आ रहा है. उसे डर है कि कहीं ऐसा न हो कि 'ऑपरेशन लोटस' फेल न हो जाए, और राज्य का वोटर चौबीस के चुनाव में सोरेन से सहानुभूति जता दे. 


मजबूत स्थिति में गठबंधन
ऐसा हुआ तो न माया मिलेगी, न राम. क्योंकि भले ही सोरेन की सदस्यता चली जाए, नंबर गठबंधन के पास है. विधायकी गई और चुनाव लड़ने पर पाबंदी न लगी तो वो 6 महीने के अंदर उपचुनाव की राह से फिर कुर्सी तक पहुंच सकते हैं. राज्य में 81 विधानसभा सीटे हैं. बहुमत के लिए चाहिए 41 सीटें. इस लिहाज से देखें तो गठबंधन बड़ी मजबूत स्थिति में है. उसके पास सीधे तौर पर 49 विधायक हैं. 30 तो जेएमएम के अपने हैं. 18 कांग्रेस के हैं. सहयोगी आरजेडी के पास भी एक विधायक है. 


बीजेपी को 13 विधायकों की जरूरत
इसके अलावा एनसीपी का विधायक, CPIML का विधायक और दो निर्दलीय भी गठबंधन को ही सपोर्ट कर रहा है. उधर बीजेपी के पास 26 अपने विधायक हैं और 2 आजसू के उसे समर्थन दे रहे हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो उसे सरकार गिराने के लिए 13 विधायकों की जरूरत होगी. 


महाराष्ट्र से एमपी तक चला 'ऑपरेशन लोटस'
बावजूद इसके गठबंधन कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है. महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश तक वो बीजेपी का खेल देख चुका है. वो कहते हैं ना कि दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है. वैसे भी भारतीय राजनीति अब IPL बन चुकी है. इंडियन पॉलिटिकल लीग...एक ओवर क्या, एक गेंद उलटी पड़ी और खेल पलट सकता है. अब देखिए झारखंड के इस मैच का अंजाम क्या होता है?