रांचीः 6 th JPSC News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को छठी सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा से जुड़े एक मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला दिया है. सर्वोच्च अदालत ने 326  अभ्यर्थियों की नियुक्ति मामले में झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है. इस तरह शीर्ष अदालत ने अभ्यर्थियों की नौकरी बचा ली है. गुरुवार को सुनाए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के सिंगल और डबल बेंच दोनों के आदेश को निरस्त करते हुए इस संबंध में दायर एसएलपी पर फैसला सुनाया. इससे पहले झारखंड हाइकोर्ट ने सात जून 2021 को फैसला सुनाते हुए मेरिट लिस्ट व अनुशंसाओं को निरस्त कर दिया था.


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फ्रेश लिस्ट जारी करने का दिया था निर्देश
झारखंड हाईकोर्ट ने इसके साथ ही आयोग को आठ सप्ताह में फ्रेश लिस्ट (रिजल्ट) जारी करने का निर्देश दिया था. साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि जेपीएससी से पुनरीक्षित अनुशंसा मिलने पर चार सप्ताह के अंदर अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाये. कोर्ट ने इस मामले में जेपीएससी के अधिकारियों की जिम्मेवारी तय कर कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था. हाइकोर्ट के फैसले के विरोध में अनुशंसित अभ्यर्थी हाइकोर्ट के डबल बैंच में गये.


राज्य सरकार ने रखा था अपना पक्ष
सुनवाई के बाद डबल बैंच ने 20 अक्तूबर 2021 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. पुन: 23 फरवरी 2022 को फैसला सुनाते हुए हाइकोर्ट के एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए उसे बरकरार रखा. इसके बाद जेपीएससी ने फ्रेश रिजल्ट निकाला. जिसमें कुल 326 में 62 नये अभ्यर्थी शामिल हो गये. इसके खिलाफ में 326 अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. सुनवाई पूरी होने से पूर्व कोर्ट ने राज्य सरकार को भी अपना पक्ष रखने के लिए कहा था.


ये है मामला 
अभ्यर्थियों ने छठी जेपीएससी के संशोधित रिजल्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. झारखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में छठी जेपीएससी की 326 अभ्यर्थियों वाली मेरिट लिस्ट को त्रुटिपूर्ण बताते हुए रद्द कर दिया था और जेपीएससी को संशोधित मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया था. इसके बाद जेपीएससी ने संशोधित मेरिट लिस्ट जारी की थी. नई मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद 60 अभ्यर्थी सूची से बाहर हो गए जिनकी नियुक्ति पहले की लिस्ट के आधार पर हो चुकी थी.सूची से बाहर हुए 60 उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी याचिका दायर कर झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 28 जुलाई को इस मामले में अंतिम सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था.