Ranchi: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार से शुरू होगा, जिसमें तकनीकी खामियों के कारण राज्यपाल सचिवालय द्वारा लौटाए गए तीन महत्वपूर्ण विधेयक फिर से पेश किए जाएंगे. दूसरी ओर, विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति और बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर सदन में सरकार को घेरने का फैसला किया है.


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सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी दल भाजपा ने मानसून सत्र की रणनीति तैयार करने के लिए बृहस्पतिवार को रांची में अपने-अपने विधायक दल की बैठकें कीं. बीजेपी इस बार कई बड़े मुद्दों पर सर्कार को घेरना चाहती है. इसी वजह से उन्होंने पहले से ही राज्य सरकार पर हमला बोल रखा है. इसको लेकर उन्होंने अपने विधायकों के साथ बैठक भी की थी. 


 


 



पेश हो सकते हैं ये विधेयक


मानसून सत्र चार अगस्त को समाप्त होगा. इसमें जिन तीन विधेयकों को फिर से पेश किया जाएगा, उनमें भीड़ हिंसा और भीड़ हत्या निवारण विधेयक, 2021, झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और ऐसे स्थानीय व्यक्तियों को परिणामी, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अन्य लाभ देने के लिए विधेयक, 2022, जिसे 1932 के खतियान बिल के नाम से भी जाना जाता है और ओबीसी आरक्षण विधेयक शामिल है. 


राज्यपाल ने कर दिया था वापस


तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने विभिन्न तकनीकी खामियों का हवाला देते हुए इन तीन विधेयकों को लौटा दिया था. राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली सरकार की सहयोगी कांग्रेस ने कहा है कि उसने मानसून सत्र में मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाने का निर्णय लिया है. वहीं, झारखंड विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक एवं बोकारो से विधायक बिरंची नारायण ने कहा, “भाजपा राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति और बढ़ती बेरोजगारी समेत अन्य मुद्दे उठाएगी.


(इनपुट भाषा के साथ)