रांची: 'सामान पहुंचाओ शौचालय बनाओ' अभियान की शुरुआत सिमडेगा से हुई थी. महिला मंडल ने इस काम को पूरा करने का संकल्प लिया था. इस अभियान की सफलता से उत्साहित सरकार ने अब इसे पूरे झारखंड में लागू करा दिया है. सरकार का मकसद है कि इसके जरिए महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाए. 


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रघुवर सरकार की तरफ से महिला सशक्तिकरण के लिए किया जा रहा प्रयास अब दिखाने लगा है. सिमडेगा में शौचालय बनाने की जिम्मेदारी महिलाएं निभा रही हैं और खुद शौचालय बनाने का सामना भी ला रही हैं. कोलेबिरा ब्लॉक के बंदरचुआं पंचायत की ये तस्वीर है. जहां महिलाएं खुद मिस्त्री बनकर पीएम मोदी और सीएम रघुवर दास के सपनों को सच करने में लगी हैं.  सरकार की पहल से इन महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने का रास्ता मिल गया है और सबसे बड़ी बात ये है कि सिमडेगा में महिलाओं की इस सफलता के फॉर्मूले को रघुवर सरकार पूरे प्रदेश में लागू करने जा रही है. सिमडेगा उपायुक्त जटाशंकर चौधरी का कहना है कि इस अभियान की सफलता को देखते हुए राज्यस्तर से सभी जिलों को सिमडेगा मॉडल को अपनाने का निर्देश दिया गया है. 


 



 


सिमडेगा में महिला मिस्त्री को रानी मिस्त्री का नाम दिया गया है जिसकी तारीफ पूरे देश में हो रही है और झारखंड सरकार ने भी ये फैसला लिया है कि अब महिला मिस्त्री को रानी मिस्त्री के नाम से जाना जाएगा. इसके लिए 8 मार्च को सम्मेलन भी बुलाया गया है. चौधरी ने आगे बताया कि महिला मिस्त्रियों में रानी मिस्त्री का नाम दिया गया है. इस नामकरण की भी प्रशंसा हो रही है. अब सभी जिलों में महिला मिस्त्री को रानी मिस्त्री कहा जाएगा. 


रानी मिस्त्री का मानना है कि सरकार के इस प्रयास से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है. पहले शौचालय बनाने की जानकारी नहीं थी लेकिन अब हम काम सीखकर 21 हजार शौचालय का निर्माण पूरा कर चुके हैं. सामान पहुंचाओ, शौचालय बनाओ अभियान में महिलाओं की भागीदारी की बदौलत सिमडेगा को 5 मार्च तक ODF करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, दूसरी तरफ रघुवर सरकार अब रानी मिस्त्री को ट्रेनिंग देगी जिससे वो और महिलाओं को इस मुहिम से जोड़ें ताकि स्वच्छ भारत, स्वच्छ झारखंड का सपना जल्द पूरा हो सके.