गुमला : गुमला के डुमरी प्रखंड के हरे भरे जंगल के मनोरम, खूबसूरत वादियों के बीच बना अपरशंख जलाशय या नौगाई डैम में ऑस्ट्रेलियन पक्षियों का आना शुरू हो गया है. साथ ही नए साल की तैयारी को लेकर रोजाना सैकड़ों कि संख्या लोगों की भीड़ भी यहां उमड़ रही है. जंगलों के बीच बने डैम की प्राकृतिक सुंदरता और मनोरम दृश्य सैलानियों को आकर्षित कर रहा है. 


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अभी तक नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा 
इसके साथ ही साथ लोग अब यहां बोटिंग करने, पिकनिक मनाने आते हैं. यह गुमला जिले से 85 किलोमीटर एवं डुमरी मुख्यालय से 16 किमी की दूर पहाड़ की तराई में स्थित है. इस संबंध में अपरशंख जलाशय मत्स्य जीवी सहयोगी समिति नौगाई के सचिव फिलमोन कुजूर ने बताया कि इस स्थल को अभी तक पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिला है. अब यहां नौका विहार शुरू कर दिया गया है. बगल में आदिवासी धार्मिक स्थल ककडोलता है वहां पूजा पाठ करने के बाद सैकड़ों लोग यहां आकर रोज डैम को देख और नौकायन कर आनंद उठाते हैं. हमलोगों के द्वारा सीमित साधनों के बीच डैम में सैलानियों को हर सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है. नौकायन के जरिए लोग साधनी घाघ को भी देखने जाते हैं. ऐसे में नौकायन से रोजाना अच्छी कमाई हो जाती है. 


स्थानीय लोगों की कमाई का जरिया है ये डैम 
आगे उन्होंने बताया कि लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शाम 4 बजे के बाद डैम में प्रवेश बंद कर दिया जाता है. डैम में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि डैम बनने से हमारे गांव की लोगों की समय और परिस्थिति में बदलाव आया है. डैम में मछली पालन किया जा रहा है. यहां नौगाई गांव के 42 परिवार समिति से जुड़े हैं. इस बार विभाग की ओर से सौ पैकेट मछली बीज छोड़ा गया है. समिति से जुड़कर मछली पालन के रोजगार को अपना कर बेहतर जीवनयापन कर रहे हैं. यहां नौकायन से भी रोजाना कमाई हो जाती है. 


ऑस्ट्रेलियन पक्षियों का भी यहां आना हो गया है शुरू 
इस डैम में वर्ष 2016 से ऑस्ट्रेलियन पक्षियों का भी आवागमन होने लगा है. प्रत्येक साल ठंड में ऑस्ट्रेलियन पक्षी आते हैं. शुरुआती दौर में इनकी संख्या 5-6 हुआ करती थी. अब धीरे-धीरे बढ़कर अभी लगभग संख्या 25 है. जो दिनभर डैम में ही विचरण करते हैं. डैम से सटा तियन टोंगरी है. जिसका दायरा लगभग 5 एकड़ जमीन में फैला हुआ है. जहां रोजगार बकरी, खरगोश, देसी और कड़कनाथ मुर्गी पालन का व्यवसाय किया जा सकता है. साथ टोंगरी में एक रेस्ट हाऊस और पार्किंग व्यवस्था बन सकती है. पानी के बीच में केज हाउस बना हुआ है ताकि आने वाले सभी लोगों को घूमने फिरने, ठहरने, खाने की व्यवस्था मिल जाए. जो लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है. साथ ही ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिए और 2 बोट, 12 पीस जैकेट, मछली फंसाने के लिए 12 पीस ग्रेनेड जल, डैम किनारे शेड निर्माण करने की मांग की है ताकि गांव के बेरोजगार युवक छोटे-छोटे दुकान खोलकर रोजगार के रूप में अपना सकते हैं. 
(रिपोर्ट- रणधीर निधि)


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