Horoscope 7th House: कुंडली के सातवें घर में ग्रहों का शुभ-अशुभ प्रभाव आपको चौंका देगा
किसी भी कुंडली के 12 भावों में से 7वां भाव काफी महत्वपूर्ण होता है. यह भाव जातक के व्यक्तित्व का आईना होता है. यह विवाह के लिए भी माना जाता है. ऐसे में इस भाव में ग्रहों की अलग-अलग स्थिति जातक के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव डालती है.
Horoscope 7th House: किसी भी कुंडली के 12 भावों में से 7वां भाव काफी महत्वपूर्ण होता है. यह भाव जातक के व्यक्तित्व का आईना होता है. यह विवाह के लिए भी माना जाता है. ऐसे में इस भाव में ग्रहों की अलग-अलग स्थिति जातक के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव डालती है. बुध, चंद्रमा, गुरु और शुक्र जैसे शुभ ग्रह इस भाव में हों तो इसका अलग प्रभाव होता है.
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कुंडली के सातवें भाव के बारे में बता दें कि यह तुला राशि का भाव है और इसके स्वामी ग्रह के रूप में शुक्र को जाना जाता है. यह वैभव और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला है. ऐसे में इस भाव में शुभ ग्रह हों तो विवाह में परेशानी नहीं आती. साथ ही व्यापार अच्छा चलता है. बोलचाल में व्यक्ति मृदुभाषी होता है. ऐसे में सातवें भाव में बुध हों तो शुभ फल देने वाले होते हैं. ऐसे जातक की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. जीवन साथी भी खूब सुंदर होता है. ये काफी विद्वान लोग होते हैं.
सातवें भाव में चंद्रमा हो तो आपको दयालु और बेहतरीन साथी मिलने की प्रबल संभावना होती है. ऐसे जातक सभ्य और शिष्ट माने जाते हैं. ऐसे जातक को विदेश यात्रा का भी योग बनता है. ऐसे लोगों का विवाह शीघ्र होता है. वहीं गुरु इस घर में अच्छा लाभ देते हैं. ऐसे लोग आशावादी होते हैं. गुरु के प्रभाव की वजह से ये लोग आकर्षक होते हैं. इनकी वाणी लोगों को आकर्षित करती है. विवाह के बाद ऐसे जातकों का भाग्योदय होता है. ये किसी बड़े पद पर भी आसीन होते हैं. वहीं शुक्र इस भाव में हो तो कम परिश्रम में सफलता दिलाते हैं. ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन बेहद सुखी होता है. व्यक्ति रोमांटिक हो सकता है.
हालांकि सातवें भाव में सूर्य का होना स्वभाव में कठोरता देता है. विवाह के बाद लाभ दिलाने वाला होता है. ऐसे व्यक्ति घमंडी स्वभाव के हो जाते हैं. वैवाहिक जीवन में परेशानियां रहती है. वहीं इस भाव में मंगल विवाह में बिलंब देने वाला होता है. जीवनसाथी के साथ आपके संबंध बेहतर नहीं रहते हैं. व्यक्ति बेचैनी महसूस करने वाला और चिड़चिड़ा होता है. आर्थिक तौर पर भी यह व्यक्ति को कमजोर करता है. शनि इस भाव में हो तो व्यक्ति को अविवाहित रहने की नौबत आ जाती है. संतान होने में भी बिलंब का यग बनता है. राहु इस भाव में उग्रता देता है. विश्वास की जीवन में कमी होती है. वहीं केतु के कारण वैवाहिक जीवन कठिनाईयों से भर जाता है. स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां भी सताने लगती है. निर्णय लेने की क्षमता जातक की कमजोर होती है.