Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा है वहीं दूसरी तरफ रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा के लिए भी तारीख की घोषणा कर दी गई है. 22 जनवरी 2024 को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इस दिन कूर्म द्वादशी पड़ रही है. यह द्वादशी भगवान विष्णु की उपासना के लिए बेहद खास है. ऐसे में आप देश में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के 500 साल के इतिहास को देखेंगे तो पता चलेगा कि कई महत्वपूर्ण तारीखें द्वादशी तिथि के दिन ही पड़ी हैं. 


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सबसे पहले आपको बता दें कि रामलला विराजमान के लिए जारी संघर्ष ने तब एक नया रूप ले लिया जब इस जन्मभूमि क्षेत्र में बनी हुई बाबरी मस्जिद को 6 दिसबंर 1992 को भीड़ के द्वारा तोड़ दिया गया. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह भी शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि थी. इस दिन रविवार का दिन था और माघ का महीना और वैदिक ऋृतु मानक के हिसाब से तब हेमंत ऋृतु चल रही थी. सूर्य इस समय दक्षिणायन थे. इस समय अश्विनी और भरणी नक्षत्र के मध्य का समय था. तब सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा मेष राशि में थे. 


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वहीं रामलला का फैसला जिस दिन सुप्रीम कोर्ट से आया वह तिथि 9 नवंबर 2019 की थी और हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन शुक्ल पक्ष की द्वादशी की तिथि ही थी. सूर्य-चंद्रमा की स्थिति की वजह से इस दिन वज्र नाम का योग बन रहा था. तब भी सूर्य की स्थिति दक्षिणायन ही थी. जबकि यह दिक ऋृतु शरद का समय था. हालांकि वैदिक ऋृतु वर्षा का था. सूर्य तब तुला राशि में और चंद्रमा मीन राशि में थे. चंद्रमा उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में होने की वजह से इस दिन धूम्र नाम का योग भी बन रहा था. 


वहीं राम मंदिर के लिए भूमिपूजन का कार्यक्रम 5 अगस्त 2020 को किया गया. यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि थी और इस दिन बुधवार था. यह दिन प्रथम पूज्य गणपति को समर्पित दिन है ऐसे में भवन, आवास, महल या फिर किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ से पहले गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है. ऐसे में यह कल्याणकारी दिन था. 


वहीं जब अगले साल 22 जनवरी 2024 भगवान राम की प्राण की प्रतिष्ठा अयोध्या में होगी तो उस दिन सोमवार का दिन होगा और पंचांग के हिसाब से कूर्म द्वादशी पड़ेगी. ऐसे में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए यह तिथि बेहद खास होगी क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और प्रभु श्रीराम भगवान नारायण के ही अवतार बताए गए हैं. ऐसे में इतिहास के पन्नों में झांककर देखें तो पता चलेगा कि रामलला विराजमान के लिए द्वादशी की तिथि बेहद खास रही है.