Durga Puja: देवी मां को नींबू की माला क्यों चढ़ाई जाती है जानते हैं आप?
शारदीय नवरात्रि का त्योहार चल रहा है. ऐसे में शक्ति की उपासना के इस पर्व में लोग मां दुर्गा के साथ काली की भी पूजा करते हैं. इसके बाद दीपावली का त्योहार आएगा जिसमें खासकर पूर्वी भारत के राज्यों में काली पूजा मनाई जाती है.
Durga Puja: शारदीय नवरात्रि का त्योहार चल रहा है. ऐसे में शक्ति की उपासना के इस पर्व में लोग मां दुर्गा के साथ काली की भी पूजा करते हैं. इसके बाद दीपावली का त्योहार आएगा जिसमें खासकर पूर्वी भारत के राज्यों में काली पूजा मनाई जाती है. ऐसे में जब आप मां काली की प्रतिमा के सामने मंदिर में जाते होंगे तो उनके गले में आप नींबू की माला देखते होंगे. ऐसे में कभी आपने सोचा है कि मां काली को नींबू की माला क्यों पहनाई जाती है.
वैसे आपको बता दें कि पूजा-पाठ और तंत्र साधना जैसे कर्मकांड में नींबू का विशेष महत्व है. ऐसे में नींबू का प्रयोग मां काली की पूजा में विशेष महत्व रखता है. मां काली ही नहीं बल्कि कई और देवियों को दक्षिण भारत में नींबू की माला चढ़ाई जाती है. वैसे माता के गले में पुष्प की माला तो हम सभी डालते हैं लेकिन नींबू की माला का शास्त्रों में विशेष विधान बताया गया है. मान्यता है कि मां काली को प्रसन्न करने के लिए पहले बली और नरमुंडों की माला चढ़ाई जाती थी. यह आज के समय में असंभव है. ऐसे में मां के इस रौद्र रूप को प्रसन्न करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए इन मालाओं की जगह पर नींबू की माला माता काली की मूर्ति पर चढ़ाते हैं.
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ऐसे में आपको बता दें कि नींबू की माला ऐसे ही माता को नहीं चढ़ाई जाती है बल्कि गिनती के नींबू की माला तैयार कर इसे माता के गले में डालने का विधान है. यह संख्या 11, 21, 31, 51 या 101 नींबू की हो सकती है. इन्हें कलावे या धागे में गूंथकर माता को अर्पित किया जाता है.
नींबू की माला को कभी भी माता के चरणों में नहीं चढ़ाया जाता है बल्कि इसे अपने हाथों से मां के गले में डाला जाता है और पूरे भक्ति भाव से मां को अपनी मनोकामना कही जाती है. इसके बाद मां से भूलवश हुई अपनी गलती की क्षमा मांगी जाती है. घर में अगर मां की प्रतिमा या तस्वीर है तो इसे नींबू की माला नहीं पहनानी चाहिए.