Rajyoga in Kundali: ज्योतिष के अनुसार कुंडली में 30 तरह के राजयोग और 3 तरह के विपरीत राजयोग बनते हैं. इन राजयोगों में जिस भी राशि के जातक की कुंडली आती है उनकी किस्मत का दरवाजा खुल जाता है. ऐसे में तीन तरह के विपरीत राजयोग हर्ष राजयोग, सरल राजयोग और विमल राजयोग बनता है. आपको बता दें कि विपरीत राजयोग का निर्माण तब होता है जब अशुभ ग्रहों का संयोजन होता है इसके बाद इस योग का निर्माण होता है. 


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शुभ राजयोगों की तरह ही ये अशुभ ग्रहों के संयोग से बनने वाले विपरीत राजयोग भी जिस जातक की कुंडली में बनता है उसकी किस्मत चमक जाती है. वह धन-धान्य और मान-सम्मान से परिपूर्ण हो जाता है. ये विपरीत योग भले अशुभ ग्रहों के मिलने से बनते हों लेकिन यह बेहद शुभ योग माना जाता है. वैसे किसी जातक की कुंडली के 6ठे, 8वें और 12वें भाव के स्वामी अगर अन्य दो भावों में आ जाता है तब इस विपरीत राजयोग का निर्माण होता है. 


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यह विपरीत राजयोग जातक को चरित्रवान, स्वस्थ, शक्तिवान, सकारात्म ऊर्जा से भरा और धन संपदा से परिपूर्ण बना देता है. ऐसे में आपको बता दें कि जब 6ठे भाव का स्वामी 8वें या 12वें भाव में आकर बैठ जाता है तो हर्ष योग बनता है. वहीं आठवें भाव का स्वामी जब 6ठे या 12वें भाव में आकर बैठ जाए तो सरल राजयोग बनाता है. जबकि 12वें भाव का स्वामी जब 6ठे या 8वें भाव में आकर बैठ जाए तो विम राजयोग का निर्माण होता है. 


विमल राजयोग तीनों विपरीत राजयोग में सबसे ज्यादा बेहतर और फायदेमंद माना गया है. इस राजयोग के निर्मणा से व्यक्ति के जीवन में आनेवाली परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. ऐसा व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफल होता है. साथ ही वह धन-संपत्ति से भरा पूरा होता है. अगर 12वें भाव का स्वामी छठे भाव में बैठा हो तो ऐसे जातक की विद्वता का कोई तोड़ नहीं होता और यह शत्रुओं पर विजय प्राप्त करनेवाला धनाढ्य होता है. 


वहीं अगर 12वें भाव का स्वामी 8वें भाव में बैठा हो तो जातक ज्ञानी तो होता ही है उसे गुप्त विद्या भी मिलती है. मुसीबत इनके पास नहीं फटकती या वह इस पर जल्दी विजय प्राप्त कर लेते हैं. वहीं अगर 12वें भाव का स्वामी 12वें भाव में ही हो तो ऐसा जातक राजा होता है.