Pregnancy: कई बार लाख कोशिशों और उपचार के बाद भी महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है और अगर वह गर्भवती होती भी है तो कुछ समय बाद उसका गर्भपात हो जाता है. ऐसे में ज्योतिष के अनुसार इस तरह की स्थिति को लेकर कई उपाय बताए गए हैं और इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि ऐसा आखिर क्यों होता है. ज्योतिष के अनुसार बार-बार गर्भापत का होना पितृ दोष की वजह से भी होता है. यानी ऐसी नकारात्मक ऊर्जा आपके आसपास है जो आपकी वंशवृद्धि को रोक रहा है. 


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 ऐसे में बार-बार गर्भपात की स्थिति में डॉक्टरों से तो उचित चिकित्सकीय परामर्श तो लेते ही रहें. एक बार अपनी कुंडली का विश्लेषण किसी अच्छे ज्योतिष से भी कराना चाहिए,  बता दें कि महिलाओं की कुंडली के 5वें और 8वें भाव के जरिए संतान पक्ष का विचार किया जाता है. ऐसे में चंद्रमा के साथ अगर किसी क्रूर ग्रह का मेल हो तो इस तरह की उथल-पुथल महिला के जीवन में आती है और बार-बार गर्भपात हो जाता है. 


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ऐसे में इससे बचने को लेकर कुछ ज्योतिष उपाय भी बताए गए हैं. इसके अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने ससुराल पक्ष के मृत परिजनों का पति के साथ जाकर श्राद्ध कर्म करना चाहिए. श्राद्ध कर्म की समाप्ति के बाद गरीबों के बीच सफेद मिठाई बांटनी चाहिए. 


वहीं हर शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा के बाद छोटे-छोटे बच्चों को कुछ उपहार बांटना चाहिए, इससे भी आपकी संतान की मनोकामना पूरी होगी. बता दें कि किसी स्त्री की कुंडली में चंद्रमा पीड़ित हो पाप ग्रह से ग्रसित हो, क्रूर ग्रह की इसपर दृष्टि हो, मंगल-शिन की युति हो या इसकी दृष्टि हो, लग्न या लग्नेश पीड़ित हो या कुंडली की छठा भाव कमजोर हो तो गर्भपात जैसा स्थिति पैदा करता है. 


कुंडली में चंद्रमा क्रूर व पापी ग्रहों यथा शनि, मंगल, राहु, केतु आदि से पीड़ित हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में महिला को पहले तो मासिक धर्म संबंधी परेशानी होगी और कभी-कभी गंभीर रक्त विकार भी पैदा कर देगा. ऐसे में किसी महिला की कुंडली में बांझपन तब दिखता है जब उसके आठवें भाव में सूर्य, शनि साथ हो. वहीं इस भाव में सूर्य मंगल साथ हो तो गर्भपात की स्थिति बनती है. इसी भाव में सूर्य, गुरु और शुक्र हो तो मरा हुआ बच्चा पैदा होगा. वहीं इस घर में सूर्य, चंद्र और बुध हो तो काक बंध्या योग तथा मंगल, शुक्र गुरु इस भाव में हो तो गर्भस्त्राव की संभावना बढ़ेगी.