Shani Dev: ऐसे लोगों पर हमेशा रहती है शनिदेव की टेढ़ी नजर, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे हैं ऐसा कुछ!
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के नवग्रहों में शनि एक ऐसा ग्रह है जिसे न्याय का देवता तो कहा ही जाता है. साथ ही इसे क्रूर ग्रह की श्रेणी में भी रखा गया है. बता दें कि शनि की चाल किसी भी जातक के जीवन मे उथल-पुथल ला सकती है.
Shani Dev: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के नवग्रहों में शनि एक ऐसा ग्रह है जिसे न्याय का देवता तो कहा ही जाता है. साथ ही इसे क्रूर ग्रह की श्रेणी में भी रखा गया है. बता दें कि शनि की चाल किसी भी जातक के जीवन मे उथल-पुथल ला सकती है. शनि देव किसी भी जातक की कुंडली में अगर नीच के हों या उनकी अंतर्दशा या महादशा चल रही हो या फिर जातक के जीवन में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव हो तो ऐसे में उस जातक को बहुत संभलकर रहना होता है. क्योंकि आपका विचार जैसा होगा शनिदेव आपको उसी राह पर प्रेरित कर देंगे. इसका आपके जीवन पर सकारात्मक और नकारात्म दोनों असर होगा.
ऐसे में न्याय के देवता शनि देव की दृष्टि अन्याय करनेवालों पर हमेशा टेढ़ी रहता है. शनिदेव ऐसे जातकों को दंड भी देते हैं. लेकिन, जो न्यायप्रिय लोग हैं और सेवा भाव से काम करते हैं, कर्मठ और ईमानदार होते हैं उनपर शनिदेव की विशेष कृपा बरसती है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि शनि से पीड़ित व्यक्तियों को किस तरह के आचरण से बचना चाहिए और किन लोगों पर शनि की नजर टेढ़ी होती है.
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वैसे भी शनि देव के बारे में कहा जाता है कि जो लोग बेसहारा, बुजुर्ग, गरीब या महिलाओं को परेशान करते हैं उन्हें वह सताते हैं. जो लोग दूसरों को धोखा देते हैं. उनपर हमेशा शनिदेव की दृष्टि टेढ़ी होती है. ऐसे में ऐसे लोगों के जीवन में कई तरह की समस्याएं आती है. शनि देव की वक्र दृष्टि की वजह से ऐसे लोगों को नौकरी में परेशानी और घर-परिवार में क्लेश होता है.
जो लोग जानवरों को परेशान करते हैं उनपर भी शनिदेव नाराज होते हैं. ऐसे में अगर शनि देव की कृपा पाना चाहते हैं तो जानवरों, पशु-पक्षियों को कभी भी परेशान ना करें.
शनि की ढैय्या या साढेसाती चल रही हो तो ऐसे लोगों पर भी उनकी वक्र दृष्टि होती है. ऐसे में शनिवार को शनि देव की पूजा और उन्हें तेल अर्पित जरूर करना चाहिए. वहीं जिसकी कुंडली में शनि की महादशा या अंर्तदशा चल रही हो ऐसे जातकों को भी शनि के कोपभाजन बनने से बचना चाहिए और अपने आचरण को स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए. ऐसे लोगों को व्यभिचार, दुराचार, अत्याचार और नशे के सेवन से बचना चाहिए.