Shardiya Navratri 2023: 15 अक्टूबर को मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पृथ्वी पर आनेवाली हैं. बता दें कि इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार को हो रही है. ऐसे में मां की शैलपुत्री रूप की इस नवरात्रि के पहले दिन पूजा होनी है. ऐसे में भक्त मां की कृपा पाने के लिए नवरात्रि का व्रत भी रखते हैं. इसलिए भक्तों को व्रत रखने से पहले इसके नियम के बारे में जरूर जान लेना चाहिए, इस दौरान उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए यह भी जानना चाहिए क्योंकि नवरात्रि के व्रत के दौरान की गई आपकी गलती कहीं आपको मां के गुस्से का शिकार ना बना दे. 


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वैसे आपको बता दें मां की कृपा पाने के लिए इस त्योहार के दौरान व्रती कठिन व्रत का संकल्प लेते हैं और साथ हीं आपको बता दें कि 9 दिनों तक चलनेवाले इस त्योहार में व्रती पानी, फल, मीठा और एक समय का भोजन जैसे कई तरीके से व्रत रखते हैं. वैसे आपको बता दें कि ऐसे में इस व्रत के नियम भी हैं जिसे जान लेना जरूरी है. 


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नवरात्रि व्रत रखने वाले को पूरी तरह से पवित्रता का पालन कर ना चाहिए, शुद्धता का भी इस व्रत में बेहद ध्यान रखने की जरूरत है. इस दौरान विचारों की शुद्धता सबसे ज्यादा जरूरी है. इस दौरान आपके मन में कई बुरे विचार, दूसरों के प्रति ईर्ष्या का भाव नहीं रहना चाहिए. इस दौरान पूर्णतः ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए साथ ही झूठ नहीं बोलना चाहिए. 


इस दौरान आपको पूर्णतः क्रोध से बचना चाहिए, माता रानी के नामों और मंत्रों का जाप लगातार करना चाहिए.इस दौरान छोटी बच्चियों और कन्याओं का अपमान करने से बचना चाहिए. घर में अगर छोटी-बच्ची है तो उनपर क्रोध करने और उन्हें मारने पीटने से बचें. इस दौरान बड़ों का सम्मान भी करना चाहिए. 


इस दौारन सात्विक चीजों का सेवन करना चाहिए. वहीं नशे के सामान का सेवन करने से भी इस दौरान बचना चाहिए. इसके अलावा लहसुन प्याज जैसे तामसिक भोजन के साथ ही मांस-मछली का भी सेवन नहीं करना चाहिए.  नवरात्रि में रसोपवास, फलोपवास, दग्धोपवास, लघु उपवास अधोपवास और पूर्णोपवास होता है. ऐसे में आप जिस भी तरह का व्रत कर रहे हैं उसका पूरा पालन करना चाहिए. ऐसा नहीं कि फलाहार कर रहे हैं तो दिन भर फल खाते रहें इससे व्रत का पूरा फल नहीं मिलता है. 


इस व्रत को रख रहे हैं तो सुबह उठकर पहले नित्य क्रिया से निवृत हों और फिर स्नान कर लें और मां की पूजा करें. इस दौरान मन को एकदम शांत रखें और मां की भक्ति में अपना मन लगाएं. माहवारी या अशौच की अवस्था में व्रत नहीं रखें. व्रत को मां के पूजन और कन्या भोजन और हवन के बाद ही मां से क्षमा मांगकर तब पारण करें या व्रत समाप्त करें.