Durga Kavach Path: नवरात्रि का त्योहार आज यानी रविवार से प्रारंभ हो गया है. ऐसे में मां का इस बार हाथी की सवारी कर पृथ्वी पर आगमन हुआ है और वह मुर्गे की सवारी से वापस कैलाश को जाएंगी. ऐसे में इस नवरात्रि अगर आप मां को प्रसन्न करना चाहते हैं और आप संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते हैं तो सप्तशती के कवच स्त्रोत का पठा हर रोज करें. वैसे इस पाठ को प्रत्येक दिन करना चाहिए. 


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दुर्गा सप्तशती के कवच स्त्रोत पाठ के बारे में बता दें कि यह समस्त अंगों की रक्षा करने वाला और महामारी से बचाव की शक्ति प्रदान करने वाला स्त्रोत है. यह मानव को आरोग्य प्रदान करने वाला है. हमारे ऋषि-मुनियों ने मानवता को यह एक कवच दिया है. जिस के प्रतिदिन पाठ करने मात्र से जीव कठिन से कठिन परिस्थितियों में फंसने के बाद भी बाहर निकल जाता है. 


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दुर्गा सप्तशती के पाठ को प्रारंभ करने से पहले मां के इस स्त्रोत के तीन प्रथम अंग कवच, अर्गला और कीलक स्त्रोत का पाठ किया जाता है. वैसे भी कवच का अर्थ सुरक्षा घेरा होता है. इसका मतलब है कि इस पाठ के जरिए मां की कृपा से आप अपने चारों तरफ सुरक्षा घेरे का निर्माण करते हैं. यह अत्यंत शक्तिशाली स्त्रोत है. 


वैसे भी संसार के अठारह पुराणों में से सबसे शक्तिशाली पुराण मार्कंडेय पुराण का हिस्सा मां दुर्गा का कवच पाठ है. यह मानव को साहस और हिम्मत प्रदान करनेवाला है. दुष्टों से यह रक्षा करता है. इस कवच के बारे में बताया जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसे ऋषि मार्कंडेय को सुनाया था. 47 श्लोकों वाले इस स्त्रोत का पाठ मात्र आपके जीवन को बदल सकता है. इसमें 9 फलश्रुति भी हैं जिससे भगवान का सीधा आशीर्वाद प्राप्त होता है. 


असाध्य रोगों से ग्रसित रोगियों को यह पाठ तीन बार जरूर करना चाहिए. इसके प्रारंभ और अंत में देवी सुक्तम का पाठ करना बेहतर माना जाता है. इस कवच में शरीर के हर अंगों का वर्णन है मानों यह हमारे समस्त शरीर को स्वस्थ बना रहा हो.