नई दिल्लीः आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के गैरमौजूदगी में तेजस्वी यादव पार्टी को संभाल रहे थे. लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से उनकी पार्टी और राजनीति से दूरी सभी के मन में कई सवाल खड़े कर रही है. पार्टी के छोटे नेता और कार्यकर्ता से लेकर वरिष्ठ नेताओं के मन में यह सवाल तूफान खड़ा कर रहा है कि आखिर तेजस्वी यादव क्यों पार्टी और राजनीति से दूर रह रहे हैं.


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तेजस्वी यादव चुनाव के बाद से पार्टी के बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. वहीं, नेता प्रतिपक्ष होने के बावजूद वह मॉनसून सत्र में पटना में होते हुए भी सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले रहे थे. साथ ही सूबे में चमकी बुखार, सूखा और बाढ़ तक इतनी समस्याएं आई लेकिन नेता प्रतिपक्ष की चुप्पी ने सभी को चौंका दिया. हालांकि, पार्टी के लोग डैमेज कंट्रोल कर रहे थे.


आरजेडी के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव का बचाव कर रहे थे कि उन्हें काफी लंबी लड़ाई लड़नी है. इसलिए वह थोड़ा आराम कर रहे हैं. लेकिन उनकी दूरी लगातार बढ़ती जा रही है. जिसके बाद वरिष्ठ नेता भी तेजस्वी की अनुपस्थिति पर सवाल खड़े कर रहे हैं. यहां तक वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी में बड़े नेताओं और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया. जब पार्टी संभालने की बात कही जा रही तो इससे दूर भाग रहे हैं.



पार्टी से दूरी को लेकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी यादव को तीखे बोल भी सुनाए थे. उन्हें नसीहत दी थी कि वह पार्टी से जुड़ें और लालू यादव की तरह धैर्य रखें. उन्हें लोगों से जुड़ना होगा. छोटे-छोटे लोगों के पास जाना होगा. उन्हें आपने पिता लालू यादव से सीखने की जरूरत हैं.


आरजेडी ने हाल ही में सदस्यता अभियान शुरू किया. जिसे लेकर आरजेडी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश था कि उनके नेता तेजस्वी यादव सदस्यता अभियान के साथ ही सक्रिय राजनीति में हुंकार भरेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. यहां तक की लालू परिवार से कोई भी शख्स शामिल नहीं हुआ. जिससे पार्टी के अंदर नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल कम हो गया. वहीं, इसका असर भी देखने को मिला जिसके बाद राबड़ी देवी ने विधायक से लेकर जिलाध्यक्षों को हाजिर होने को कहा, और सभी को टारगेट दिया गया. 


हालांकि, बैठक में विधायकों और जिलाध्यक्षों के मन में सवाल यही थे कि तेजस्वी यादव राजनीति से दूर क्यों भाग रहे हैं. इस पर सवाल होने के बाद आनन-फानन में जवाब दिया गया कि वह दूसरे बैठक में शामिल होंगे. लेकिन इसके बाद भी वह शनिवार को बैठक में नहीं पहुंचे. जिसके बाद बैठक को रद्द कर दिया गया.


ऐसे में आरजेडी को संभालने वाले नेता जब सक्रिय राजनीति से दूर भागेंगे और अपने ही कार्यकर्ताओं से मुंह छिपाएंगे, तो लाजमी है कि पार्टी के अंदर तूफान उठेगा.