इमरान अजीज/बगहा: बिहार के चंपारण जिला में यूपी-बिहार सीमा पर गंडक नदी किनारे भीषण कटाव जारी है. बगहा के नौरंगिया दरदरी मिश्रौली रेता के साथ अब आनंदनगर और गांधीनगर में सैकड़ों एकड़ जमीन पर लगे गन्ना के फसल गंडक नदी में विलीन हो चुके हैं. नतीजतन अब हलकान परेशान इलाके के किसान असमय गन्ना काटकर कम दामों पर कोल्हू क्रशर संचालकों के हाथों बेच रहे हैं. 


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दरअसल, गंडक नदी (Gandak River) का जलस्तर बढ़ने पर यहां बाढ़ (Flood) की विभीषिका झेलनी पड़ती है और नदी का जलस्तर घटने पर कटाव की त्रासदी झेलनी पड़ती है. इसी कड़ी में नारायणी गंडक नदी तट पर बगहा में हो रहे कटाव से किसानों और ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.


बगहा दो प्रखंड के नौरंगिया रेता के साथ अब बगहा एक प्रखंड के आंनद नगर समेत गांधीनगर और पिपराशि व मदरहवा रेता में लगे हजारों एकड़ गन्ना के फसल नदी की बदलती और करंट वाले धार के चलते कटकर गंडक के गर्भ में समाहित हो रहे हैं.


किसान दयानंद बैठा और शारदा महतो समेत इजराइल अंसारी, छोटे श्रीवास्तव और श्रीमहतो व लाल बाबू यादव बताते हैं कि बीते छः महीने के लॉकडाउन में बेरोजगारी बढ़ने से परेशानी बढ़ गई तो वहीं कर्ज लेकर किए गए खेती किसानी पर बाढ़ के बाद अब कटाव ने दोहरी मुसीबत खड़ी कर दिया है. खेती वाली जमीन पर कटाव जैसी तबाही से आर्थिक बर्बादी ने किसानों की कमर तोड़ दिया है. 


बता दें कि इलाके में मानसून सत्र के बीच चार बार रुक-रुक कर आईं बाढ़ की विभीषिका झेल रहे किसानों और ग्रामीणों को नदी के बदलते धार और घटते जलस्तर के चलते कटाव की विनाशलीला से दो चार होने की लाचारी ने इस कदर मजबूर किया है कि एक मात्र नगदी फसल गन्ना को अब किसान असमय अपने बचे हुए खेतों से काटकर औने-पौने दामों पर कोल्हू क्रशर संचालकों के हाथों कहीं नगदी तो कहीं उधार बेचने को मजबूर हैं ताकि कम से कम उनकी लागत मूल्य निकल जाए.


गौरतलब है कि पिछले कई वर्षों से गन्ना मूल्य बढ़ोतरी नहीं होने से किसानों को इसकी खेती में मुनाफा कम हुआ है. ऊपर से कृषि कार्य में लगे ट्रैक्टर ट्रॉली पर टैक्स ने नई मुश्किल खड़ी किया तो अब तीसरी मार झेल रहे किसानों के सामने उनके खेतों में तैयार हो रहे हैं. 


गन्ना लगे जमीन पर कटाव ने मुसीबत के साथ तबाही का मंजर ला दिया है. यहीं वजह है कि ग्रामीण किसान चीनी मिलों में पेराई शुरू होने से डेढ़ महीने पूर्व ही गंडक के कटाव से बचे गन्ना के फसल को आधे और सस्ते दर पर क्रशर संचालकों को देने का रास्ता अख्तियार कर रहे लागत मूल्य निकालने में जुटे प्रशासन और जल संसाधन विभाग से जल्द कटाव से बचाव राहत कार्य शुरू करने की मांग कर रहे हैं.