यहां धरती में समा गए थे भाई बहन! मंदिर...मूर्ति और मिट्टी के पिंड का क्या है कनेक्शन?
सीवान में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान की मूर्ति की नहीं बल्कि भाई और बहन के स्वरुप के मिट्टी के पिंड की पूजा की जाती है. यह मंदिर भाई-बहन के प्यार को समर्पित है. भाई-बहन के प्यार को समर्पित इस मंदिर का नाम भैया- बहिनी है.
रक्षाबंधन के दिन इस मंदिर में की जाती है पूजा
रक्षाबंधन के दिन इस मंदिर में पूजा अर्चना किया जाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर आज से करीब 500 वर्ष पुराना है. मुगल काल में एक भाई अपने बहन को उसके ससुराल से विदा कराकर अपने घर मायके ले जा रहा था. तभी भीखा बांध में मुगलों की सेना की नजर उस बहन पर पड़ी.
भाई-बहन झाड़ी में छिप गए
मुगलों की सेना ने उसके साथ कुछ गलत करना चाहा तब तक दोनों भाई बहन झाड़ी में छिप गए. इस दौरान बहन मां सीता के जैसे धरती माता से सुरक्षा का आह्वान करने लगी.
बहन के आह्वान पर धरती दो टुकड़ों में बंट गई
मान्यता है कि उस बहन के आह्वान पर धरती दो टुकड़ों में बंट गई और उसी में दोनों भाई बहन समां गए. उस स्थान पर लोग पूजा अर्चना करने लगे. वहीं, कुछ दिन बाद एक बरगद का पेड़ उगा और वह 12 बीघा में फैल गया. जिस स्थान पर मंदिर स्थित है. वहां बरगद का पेड़ चारों तरफ से मंदिर को घेरा हुआ है.
इस स्थान पर एक मंदिर बनाया गया
ऐसा माना जाता है कि बरगद का पेड़ भाई रूपी है जो मंदिर के अंदर स्थित बहन को चारों तरफ से घेरकर रक्षा करता है. इस स्थान पर एक मंदिर बनाया गया है. जहां मंदिर के अंदर भाई और बहन के स्वरुप का पिंड है और सभी लोग उसकी पूजा करते है.
सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना
रक्षा बंधन के दिन महिलाएं और लड़कियां इस मंदिर में राखी चढ़ाती है और वही राखी फिर भाई रूपी बरगद को बांधती है और भाई के लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती है.
बिहार में एकमात्र ऐसा मंदिर
यह भारत के सबसे खास मंदिरों में से एक है. क्योंकि यह बिहार में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भाई-बहन के रिश्ते को लेकर पूजा-अर्चना की जाती है.
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह