लगता है सीवान की पॉलिटिक्स में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने सरेंडर कर दिया है. तभी तो काली रात में तेजस्वी यादव पूर्व सांसद स्व. मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब से मिलते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान लालू प्रसाद यादव और मोहम्मद शहाबुद्दीन के परिवार के बीच तनातनी देखने को मिली थी, लेकिन अब लगता है कि पैचअप की पिच तैयार की जा रही है. पहले विधान पार्षद विनोद जायसवाल के आवास पर लालू और तेजस्वी यादव मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से मिलते हैं और उसके बाद मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब से तेजस्वी यादव अपने सरकारी निवास पर मिलते हैं. माना जा रहा है कि इस सीक्रेट मीटिंग के बाद ओसामा शहाब को राजद में कोई ओहदा दिया जा सकता है. इसके अलावा तेजस्वी यादव के जनसंवाद यात्रा में भी ओसामा शहाब को कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है. तेजस्वी और ओसामा की मुलाकात के दौरान राज्यसभा सांसद संजय यादव और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी भी मौजूद रहे.


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लोकसभा चुनाव 2024 में लालू परिवार हिना शहाब की ताकत देख चुका है. हिना शहाब ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. हिना शहाब निर्दलीय चुनाव मैदान में थीं और जब परिणाम घोषित हुआ तो वे दूसरे नंबर पर रहीं. राजद प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी को चुनाव में तीसरा स्थान हासिल हुआ था. 


2024 का चुनाव तो बीत गया और जो होना था हो गया लेकिन 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू परिवार अभी से ही कील कांटे दुरुस्त करने में जुट गया है. लालू परिवार जानता है कि राजद पूरी तरह से माई समीकरण (MY=Muslim+Yadav) पर टिका हुआ है. अगर शहाबुद्दीन का परिवार नाराज हुआ तो लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी यह समीकरण दरक सकता है. 


लालू परिवार इस तथ्य से भलीभांति अवगत है कि बिहार के मुसलमानों में अब भी मोहम्मद शहाबुद्दीन के परिवार से सहानुभूति है और इस परिवार से दुराव राजद को नुकसान पहुंचा सकता है. मोहम्मद शहाबुद्दीन का परिवार यानी पत्नी हिना शहाब और बेटे ओसामा शहाब भी यह बात समझ गए हैं राजद ही उनके लिए सही ठिकाना हो सकता है. 


दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद मोहम्मद शहाबुद्दीन की तबीयत खराब हो गई थी और उन्हें दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. 1 मई 2021 को मोहम्मद शहाबुद्दीन का निधन हो गया था. परिवार सीवान में अंतिम संस्कार करवाना चाहता था पर कोविड प्रोटोकॉल के कारण इसकी इजाजत नहीं मिली तो दिल्ली के आईटीओ के पास स्थित कब्रिस्तान में उन्हें दफनाया गया था. 


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इतना सब कुछ हो गया था पर लालू यादव के परिवार से कोई भी व्यक्ति इस मामले में आगे नहीं आया, जबकि लालू परिवार तब दिल्ली में ही था. बाद में तेज प्रताप यादव सीवान पहुंचे थे और परिजनों से मुलाकात की थी, लेकिन शहाबुद्दीन के परिवार के मन में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के न आने की टीस पैदा हो गई थी.


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