पटना: तेजस्वी यादव लंबे समय से बिहार की सियासत से नदारद हैं. जिसका असर पार्टी के अंदरुनी कामकाज पर भी पर रहा है. लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए पार्टी ने 28 मई को तीन सदस्यीय कमिटी बनायी थी. कमिटी को 7 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी. लेकिन बीस दिनों से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी कमिटी की रिपोर्ट सामने नहीं आयी है. 


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ये मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है क्योंकि आरजेडी ने अपनी हार के लिए षडयंत्र के जिम्मेवार बताया था. लेकिन उस षडयंत्र का खुलासा पार्टी अबतक नहीं कर सकी है. लोकसभा चुनाव में हुई बुरी हार की समीक्षा को लेकर आरजेडी ने 28 और 29 मई को राबडी देवी के आवास पर समीक्षा बैठक की थी. 28 तारीख की बैठक में पार्टी के सभी उम्मीदवारों के साथ समीक्षा की गयी थी. 



वहीं 29 तारीख को विधानमंडल दल के सदस्यों के साथ समीक्षा की गयी. पार्टी की ओर से 28 मई को ही अपनी हार की समीक्षा के लिए तीन सदस्यीय कमिटी की गठन किया था. रामचन्द्र पूर्वे, जगतानंद सिंह और आलोक मेहता के नेतृत्व में कमिटी बनायी गयी थी. कमिटी को एक हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट पार्टी सुप्रीमो को सौंपनी थी. पार्टी का आरोप था कि षडयंत्र के कारण आरजेडी की चुनाव में हार हुई है. और इसी षडयंत्र का खुलासा कमिटी जांच पडताल के बाद करेगी. लेकिन बीस दिन बीत जाने के बाद भी कमिटी कोई खुलासा अबतक नहीं कर सकी है.


पार्टी के वरिष्ठ नेता अब्दुलबारी सिद्दिकी कहते हैं कि कमिटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है. जल्द ही जांच के फैसलों का खुलासा किया जाएगा. हालांकि जांच के दौरान कमिटी को क्या हासिल हुआ इसके बार में सिद्दिकी ने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया. 


इधर आरजेडी की ओर से कमिटी के नाम पर लोगों को भरमाने का आरोप जेडीयू ने लगाया है. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि आरजेडी ने हार से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए कमिटी बनाने का नाटक किया है. जब हकीकत सबके सामने है तो ऐसे में कमिटी को क्या हाथ लगने वाला है.


चर्चा इस बात की है कि आरजेडी को इंतजार तेजस्वी यादव के वापस लौटने का है. तेजस्वी के लौटने के बाद ही रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा. लेकिन रिपोर्ट को लेकर पार्टी का जो रवैया रहा है वो महज खानापूर्ति ही दिख रहा है.