पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में तीन चरणों में होने वाले मतदान में पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है जबकि दूसरे चरण के तहत 3 नवंबर को मतदान होना है. इस चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और आरजेडी नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच माना जा रहा है.


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तेजस्वी ने संभाला मोर्चा
महागठबंधन में ऐसे तो आरजेडी (RJD) के अलावा, कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं लेकिन मोर्चा मुख्यमंत्री के प्रत्याशी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने खुद संभाल रखी है. तेजस्वी इस चुनाव में अलग नजर आ रहे हैं और अपने पिता तथा आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) के साये से खुद को निकालने के प्रयास में जुटे हैं.


सिर्फ मुद्दों पर फोकस
बीजेपी नेतृत्व वाले गठबंधन के नेता जहां आरजेडी के 15 साल के शासनकाल के 'जंगलराज' को याद दिलाते हुए लगातार लोगों के बीच पहुंच रहे हैं, वहीं तेजस्वी इस पर कुछ भी चर्चा करने से बच रहे हैं. तेजस्वी कहते भी हैं, "सत्ता पक्ष के लोग रोजगार, सिंचाई, शिक्षा के मामले में बात हीं नहीं करना चाहते. वे पुरानी फालतू की बातों को कर लोगों को मुद्दा से भटकाना चाह रहे हैं."



बदली RJD की USP
वैसे, तेजस्वी ने इस चुनाव में आरजेडी के यूएसपी को ही बदल दिया है. पहले देश भर में आरजेडी मतलब लालू यादव माने जाते थे लेकिन इस चुनाव में पहले ही आरजेडी के प्रमुख बैनरों और पोस्टरों से लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की तस्वीरों को ही हटाकर यह संकेत दे दिए थे कि इस चुनाव में वे अपनी युवा और नई छवि के जरिए लोगों के बीच पहुंचेंगे. लालू के दौर में आरजेडी के लिए मुस्लिम और यादव (एम-वाई समीकरण) को वोटबैंक माना जाता था लेकिन तेजस्वी सभी सभा में सबों को साथ लेकर चलने की बात करते हैं. रोहतास की एक सभा में 'बाबू साहब' के बयान को विरोधियों द्वारा मुद्दा बनाए जाने के बाद आरजेडी तुरंत सफाई देने पहुंच गई थी.


सफल होती दिख रही रणनीति
भले ही चुनाव के दौरान लालू का निर्देश तेजस्वी सहित आरजेडी के अन्य नेताओं को मिलते रहते हों, लेकिन तेजस्वी चुनावी रणनीतियों में अपनी रणनीति को शामिल कर रहे हैं. आरजेडी के एक नेता भी कहते हैं कि तेजस्वी की सभा में जुट रही भीड़ इस बात के प्रमाण हैं कि उनकी रणनीति इस चुनाव में अब तक सफल रही है.


कनेक्ट करने की कोशिश
मंच से हंसी मजाक के बीच अपनी बात कहने वाले लालू की तरह तेजस्वी हंसी मजाक तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन भोजपुरी भाषा में बोलकर लोगों से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं. आरजेडी के एक बुजुर्ग नेता नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहते हैं, "लालू प्रसाद वाला लहजा और अंदाज तो नहीं, लेकिन तेजस्वी यादव को भी जनता की डिमांड समझ में आने लगी है. वे नौजवानो की नब्ज पकड़ने लगे हैं. रैलियों में युवाओं की ताली के लिए क्या बोलना है, तेजस्वी को समझ में आने लगा है. रोजगार देने का वादा कर और सबको साथ लेकर चलने की रणनीति अब तक सफल दिख रही है." (इनपुट: IANS)