दाह संस्कार के बाद क्यों करना पड़ता है अस्थि विसर्जन, जानिए क्या कहता है पुराण

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
May 31, 2024

अस्थि विसर्जन

हिंदू धर्म में माना जाता है जब किसी शख्स की मौत हो जाती है तो उसके दाह संस्कार के बाद उसके आत्मा की शांति के लिए गंगा नदी में अस्थि विसर्जन किया जाता है.

पंच तत्व

मान्यता है कि शरीर पांच तत्वों यानी पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी से मिलकर बना है. जब आत्मा शरीर को छोड़ देती है, तो वह अपने नए जीवन में चली जाती है.

गरुड़ पुराण के अनुसार

गरुड़ पुराण के अनुसार, अस्थि विसर्जन से मुतक शरीर से मुक्त हुए आत्मा को शांति तभी मिलती है, जब उसकी अस्थियां गंगा नदी में विसर्जित की जाए.

राख

दाह संस्कार करने पर शरीर इन पांच तत्वों यानी पंचतत्वों में मिल जाता है. इसके बची हुई अस्थियों और राख को नदी में बहाया जाता है.

क्यों करते हैं अस्थि विसर्जन

मृत व्यक्ति की आत्मा पूरी तरह इस संसार और घर परिवार की मोह-माया से मुक्त हो जाए, इसलिए दाह संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन किया जाता है

क्यों हटाते हैं?

गरुड़ पुराण के अनुसार, अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों के ऊपर कब्जा कर शक्तियां मृत व्यक्ति को कष्ट देने का प्रयास करती हैं. इसलिए अस्थियों को वहां से हटा लिया जाता है.

पीतल का बर्तन

अंतिम संस्कार के बाद श्मशान से अस्थियों को पीतल की थाली में रखकर सफेद कपड़े से ढककर घाट ले जाना चाहिए. इससे आत्मा को शांति मिलती है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कैसे मिलती है मुक्ति

दाह संस्कार के बाद अगर अस्थियों को विसर्जन नहीं किया जाता है तो मृत शरीर की आत्मा को कष्ट होता है और मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है.

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