रमेशचंद्र झा

मोतिहारी के फुलवरिया गांव में 8 मई 1928 को जन्मे रमेशचंद्र झा ने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी.

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Aug 14, 2023

राष्ट्रवादी कवि

रमेशचंद्र झा क्रांतिकारी होने के साथ साथ दुष्यंत और दिनकर की श्रेणी के गीतकार और राष्ट्रवादी कवि भी थे.

आरोप

महज 14 साल की उम्र में रमेश चंद्र पर कई ब्रिटिश पुलिस चौकी पर हमला करने और वहां से हथियार लूटने का आरोप लगाया गया था.

क्रांतिकारी परिवार

इनके पिता पंडित लक्ष्मीनारायण झा और परिवार का हर सदस्य पहले से ही आजादी की लड़ाई में शामिल था.

हुए स्कूल से बर्खास्त

अंग्रेजों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए उन्हें स्कूल से बर्खास्त कर दिया गया था.

भारत छोड़ो आंदोलन

उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और कई बार जेल गए.

जेल-यातना

आजादी की लड़ाई में मिली जेल-यातना को उन्होंने अपनी रचनाओं का आधार बना लिया था.

सच्चे साहित्य-साधक

आजादी के बाद रमेश चंद्र झा राजनीति से अलग हुए और एक सच्चे साहित्य-साधक बन गए.

देश प्रेम

अपने जीवनकाल में उन्होंने 70 से भी ज्यादा किताबें लिखी, जिनमें - भारत देश हमारा, जय बोलो हिंदुस्तान की, जवान जागते रहो आदि शामिल हैं.

रमेशचंद्र झा की मृत्यु

इस क्रांतिकारी और कवि-कथाकार ने 7 अप्रैल, 1994 को आखिरी सांस ली, लेकिन उनके शब्दों का सूरज कभी अस्त नहीं हुआ.

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