पंडित राजकुमार शुक्ल न होते तो गांधीजी का सत्याग्रह आंदोलन नहीं होता
Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Aug 07, 2023
पंडित राजकुमार शुक्ल
पंडित राजकुमार शुक्ल एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनके कहने पर 1908 में कई गांवों के किसानों ने नील की खेती बंद कर दी थी.
किसानों पर अत्याचार
लेकिन ऐसा करने की वजह से अंग्रेजों ने किसानों पर मुकदमा दायर कर, उन्हें जेल में बंद कर दिया.
अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई
किसानों को न्याय दिलाने के लिए राजकुमार शुक्ल ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी.
राजकुमार शुक्ल की जिद
इसके बाद 1913 में जब उन्हें पता चला कि गांधी जी अफ्रीका से भारत आ गए हैं, तो उन्होंने गांधी जी को चंपारण लाने की ठान ली.
बिहार प्रांतीय सम्मेलन
1914 को बाराबंकी में बिहार प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ था, जिसमें राजकुमार शुक्ल ने चंपारण के किसानों की दयनीय स्थिति को सभी नेताओं के सामने रखा था.
बापू से मुलाकात
1916 में लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शुक्ल ने बापू से मुलाकात कर चंपारण के किसानों का दर्द बयां किया और उनसे चंपारण आने का आग्रह किया.
महात्मा गांधी
पहली मुलाकात में गांधी जी शुक्ल से प्रभावित नहीं हुए, इसलिए उन्होंने चंपारण आने से मना कर दिया.
किया चंपारण आने का आग्रह
फिर भी शुक्ल ने हार नहीं मानी और गांधी जी को मनाने के लिए अहमदाबाद उनके आश्रम पहुंच गए.
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन
ऐसे में गांधी जी आने के लिए मान गए और 10 अप्रैल, 1917 को चंपारण की धरती पर कदम रखा.
नील की खेती
गांधी जी के नेतृत्व में किसानों के हक की ये लड़ाई अहिंसक तरीके से लड़ी गयी, जिसके परिणाम स्वरूप अंग्रेजों को झुकना पड़ा और 135 वर्षों से चली आ रही खेती धीरे-धीरे बंद हो गई.