Maithil Brahmin: मैथिल ब्राह्मणों में गोत्र कितने प्रकार के होते हैं? यहां जान लें

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Aug 14, 2024

Bihar

बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में लोगों का गोत्र बहुत अहम होता है. इसका सबसे ज्यादा जरूरत शादी के समय होता है.

Mithilanchal

बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में लोग शादी के समय गोत्र के हिसाब से ही दूसरे वंश में लड़का-लड़की का रिश्ता तय करते है.

Same Gotra

अगर दो वंश का गोत्र एक है, तो इस हालात में लोग उस परिवार में रिश्ता तय नहीं करते हैं.

Genetic Disorder

मान्यता है कि एक ही गोत्र वाले वंश में विवाह करने से, वंश की वृद्धि रुक जाती है. वंश वृद्धि में समस्या आने लगती है.

Panji Pratha

मिथिलांचल में लगभग 1327 ईस्वी में पंजी व्यवस्था की शुरुआत हुई थी. जिसके माध्यम से मिथिला क्षेत्र के ब्राह्मण और मैथिल कर्ण कायस्थ समुदायों की वंशावली को लिखित रूप में दर्ज करके रखा जाता था.

Harisimhadeva

पंजी व्यवस्था की शुरुआत मिथिला में कर्नाट वंश के राजा हरिसिंह देव के द्वारा शुरू की गई थी.

Gotra Types

पंजी व्यवस्था के अंतर्गत मैथिल ब्राह्मणों में कुल 20 प्रकार के गोत्र होते हैं.

Different Gotra

वो हैं वत्स गोत्र, शाण्डिल्य गोत्र, काश्यप गोत्र, पराशर गोत्र, कात्यायन गोत्र, सावर्ण गोत्र, गार्ग्य गोत्र, कौशिक गोत्र, अलाम्बुकाक्ष गोत्र, कृष्णात्रेय गोत्र, गौतम गोत्र, मौदगल्य गोत्र, वशिष्ठ गोत्र, कौण्डन्य गोत्र, उपमन्यु गोत्र, कपिल गोत्र, विष्णुवृद्धि गोत्र, ताण्डिल्य गोत्र, जातू कण्य गोत्र और भारद्वाज गोत्र.

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