सीतामढ़ी जिले के बथनाहा प्रखंड में स्थित बैरहा गांव गांव में किसान बड़े पैमाने पर फूलों की खेती कर रहे हैं. इस गांव को बिहार के फूलों का गांव कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि यहां के 75 फीसदी से अधिक किसान फूलों की ही खेती करते हैं.
Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Apr 07, 2024
Marigold Flowers
किसान तूफानी सिंह ने बताया कि यहां अधिकांश किसान गेंदा फूल की ही खेती करते हैं और इसे बेचकर अपना जीवन चलाते हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 10 वर्ष पहले ही यहां के किसानों ने फूलों की खेती की शुरुआत की थी और इसके मुनाफे को देखकर किसान अब इसे और बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं.
Flower Farming
किसानों ने बताया कि बैरहा गांव में फूल की खेती की शुरुआत राम ज्ञान सिंह, चंदन सिंह और संतोष सिंह ने की थी. वे कोलकाता से गेंदा फूल के बीज मंगाए थे और आज भी किसान वहां से बीज मंगाए हैं.
Benefits of Marigold Flower
फूल की खेती के बाद इसमें होने वाले मुनाफे को देखते हुए, एक-एक कर गांव के किसान फूल की खेती से जुड़ते गए और यह दायरा इतना बढ़ गया. साथ ही किसान गेंदे के फूल से आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनी को भी फूल बेचने का काम करते है.
Village Of Flower
गांव की पहचान फूलों से होने लगी है. ज्यादातर खेतिहर जमीन पर अब फूल की ही खेती होती है. तूफानी सिंह ने बताया कि वह खुद 2.5 एकड़ में फूल की खेती कर रहे हैं.
Medicinal Flower
किसानों ने बताया कि हर तीसरे 3 दिन एक एकड़ से 2 क्विंटल फूल का उत्पादन होता है. बैरहा गांव सीतामढ़ी जिला ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों के लिए भी फूल का सबसे बड़ा उत्पादक गांव है. यहां से फूल की सप्लाई पटना से लेकर नेपाल तक होती है. यहां के किस ज्यादातर गेंदा फूल की ही खेती करते हैं. साथ ही कई दवा में भी गेंदे के फूल का इस्तेमाल होता है. कई दवा बनाने वाली कंपनी किसानों से फूल खरीदती है.
Earn Profit From Flower
किसानों का कहना है कि एक एकड़ से फूल बेचकर साल में 5 से 6 लाख रुपए की कमाई हो जाती है. इस गांव में कई ऐसे किसान हैं जो 10 लाख तक मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि फूल की खेती साल में तीन बार होती है, जो एक सीजन में एक एकड़ से 2 लाख रुपए की इनकम देती है.