Hindu Religion: गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान? यहां जानें वजह और महत्व

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
May 30, 2024

पितृपक्ष मेला

बिहार की राजधानी पटना से 100 किलोमीटर दूर गया में साल में एक बार 17 दिन के लिए मेला लगता है. जिसे पितृपक्ष मेला कहा जाता है.

पिंडदान

गया में पिडदान करने का पौराणिक कथाओं में भी जिक्र मिलता है. मान्यता है कि भगवान राम और सीताजी ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था.

पुराणों में भी जिक्र

विष्णु पुराण और वायु पुराण में भी इसकी चर्चा मिलती है. मान्यता है कि गया तीर्थ पर पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए गया को मोक्ष की भूमि और मोक्ष स्थल भी कहा जाता है.

कहानी

मान्यता है कि गयासुर नामक एक असुर कड़ी तपस्या कर ब्रह्माजी से वरदान मांगा था कि उसका शरीर पवित्र हो जाए. जो भी लोग उसके दर्शन करें वह पाप मुक्त हो जाएं.

स्वर्ग

पौराणिक कथाओं में जिक्र है कि इस वरदान के बाद लोगों में भय खत्म हो गया और पाप कर गयासुर के दर्शन करते और पाप मुक्त हो जाते. ऐसा करने से स्वर्ग और नरक का संतुलन बिगड़ने लगा बड़े बड़े पापी भी स्वर्ग पहुंचने लगे.

विष्णु का नगर गया

गया को विष्णु का नगर माना गया है. यह मोक्ष की भूमि कहलाती है. विष्णु पुराण के मुताबिक, गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है और वे स्वर्ग चले जाते

कैसे बना मोक्ष स्थान

गयासुर ने अपना शरीर ही देवताओं को यज्ञ के लिए दे दिया और कहा कि आप मेरे ऊपर ही यज्ञ करें. जब गयासुर लेटा तो उसका शरीर पांच कोस में फैल गया और यही पांच कोस आगे चलकर गया बन गया.

विष्णु जी से जुरा तार

पुराणों में जिक्र मिलता है कि प्राचीन शहर गया में भगवान विष्णु खुद पितृदेव के रूप में निवास करते हैं. माना जाता है कि विष्णु यहां पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं, इसलिए इसे 'पितृ तीर्थ' भी कहा जाता है.

कई स्थानों में भगवान

देशभर में श्राद्ध कर्म और पिंडदान के लिए 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है, जिसमें से हरिद्वार, गंगासागर, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट, पुष्कर समेत कई स्थानों में भगवान पितरों को श्रद्धापूर्वक किए गए श्राद्ध से मोक्ष प्रदान स्थान माना गया है.

Disclaimer

यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. जी बिहार झारखंजड इसकी पुष्टि नहीं करता है.

VIEW ALL

Read Next Story