Bihar: बिहार के पश्चिम चम्पारण के ग्रामीण स्कूलों की हालात खस्ताहाल है. इन स्कूलों में सुविधा का बहुत ज्यादा अभाव है. इन्हीं में से एक स्कूल मझौलिया का राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय वृति टोला. यहां पर क्लास एक से लेकर आठ तक की पढ़ाई होती है. स्कूल में 232 छात्र-छात्रों की संख्या है. स्कूल में 9 शिक्षक कार्यरत हैं. यह स्कूल अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है. छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को कोस रहे हैं. इस स्कूल का अपना भवन नहीं है. मात्र दो कमरों का यह स्कूल है. यहां सर्दी हो या गर्मी या फिर बरसात, बच्चे पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. हालांकि, बरसात में पढ़ाई नहीं होती है. ज्यादा धुप होने पर भी बच्चों को छोड़ दिया जाता है. 


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इस स्कूल में जुगाड़ से पढ़ाई होती है. ब्लैक बोर्ड जमीन पर रखा जाता है. कुर्सी के सहारे ब्लैक बोर्ड रखा जाता है. पेड़ में घंटी को बांधा गया है. बच्चे दरी जमीन बिछा कर फर्श पर बैठे हैं. बच्चों का कहना है कि गर्मी, बरसात में ऐसे ही पढ़ाई करते है. शिक्षकों का कहना है 18 साल से स्कूल बनवाने के लिए जिला शिक्षा कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की इस पर नजर नहीं पड़ रही है. वहीं, बच्चों के अभिवावकों का कहना है बरसात में सांप-बिच्छू का भी डर लगा रहता है. 



करीब ऐसा ही हाल राजकीय प्राथमिक विद्यालय सतभिड़वा मुशहरटोली का भी है. यहां कक्षा एक से पांच तक संचालित है. इसमें 81 छात्रों की संख्या इसमें चार शिक्षक हैं. इस विद्यालय के पास भी अपना कोई भवन नहीं है. एक क्लास में तीन-तीन क्लास के बच्चे शिक्षा लेते है. झोपडीनुमा इस स्कूल में एक क्लास रूम में तीन क्लास की पढ़ाई एक साथ होती है. एक क्लास में दो ब्लैक बोर्ड पर दो शिक्षक एक साथ पढ़ाते है. झोपड़ीनुमा इस विद्यालय में काफ़ी गर्मी है. धूप होने पर छोटे छोटे बच्चे गर्मी से परेशान हो जाते हैं. शिक्षकों का कहना है कि सरकार स्कूल नहीं बनवा रही है, जिससे शिक्षक समेत छात्रों को परेशानी है. 


रिपोर्ट: धनंजय द्विवेद