राजनीति से `संन्यास` लेने वाले यशवंत सिन्हा ने आखिर क्यों कहा था, `यदि मैं वित्त मंत्रालय चाहता तो जेटली वहां नहीं होते`?
यशवंत सिन्हा ने नोटबंदी जीएसटी जैसे फैसलों की मुखालफत की. वित्त मंत्री अरुण जेटली की उन्होंने सार्वजनिक रूप से आलोचना भी की और इसके बदले में जेटली ने भी पलटवार किया.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 21 अप्रैल को राजनीति से 'संन्यास' की घोषणा कर दी. मोदी सरकार के कामकाज से अंसतुष्ट रहे यशवंत सिन्हा खासतौर पर सरकार को आर्थिक नीतियों पर घेरते रहे. नोटबंदी जीएसटी जैसे फैसलों की मुखालफत की. वित्त मंत्री अरुण जेटली की उन्होंने सार्वजनिक रूप से आलोचना भी की और इसके बदले में जेटली ने भी पलटवार किया. पिछले साल सितंबर में उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस में 'I need to speak up now' (मुझे अब बोलना ही होगा) लिखकर मोदी सरकार और अरुण जेटली पर निशाना साधा था. उसी दौरान एक पुस्तक समारोह में पहुंचे अरुण जेटली ने परोक्ष रूप से तंज कसते हुए उन्हें 80 साल की उम्र में नौकरी के लिए आवेदक कहा था.
इसका जवाब देते हुए यशवंत सिन्हा ने 29 सितंबर को कहा था कि यदि वह 80 साल की उम्र में नौकरी ढूंढ़ रहे होते तो जेटली अभी वित्त मंत्रालय का प्रभार नहीं संभाल रहे होते. सिन्हा ने तब मीडिया से यह भी कहा था कि जिन्होंने कभी एक लोकसभा चुनाव नहीं जीता, वे उनसे सवाल पूछ रहे हैं, उन पर हमले कर रहे हैं और कालेधन के मुद्दे पर देश के लोगों को गुमराह कर रहे हैं. अरुण जेटली के तंज का जवाब देते हुए कहा, "यदि मैं नौकरी के लिए आवेदक होता तो वह (जेटली) वहां नहीं होते."
उस पुस्तक विमोचन समारोह में जेटली ने सिन्हा पर यह भी आरोप लगाया कि वह कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. चिदंबरम के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने जवाब दिया था, "वह (चिदंबरम) मेरे मित्र नहीं हैं, लेकिन वह जेटली के मित्र हैं.दरअसल अर्थव्यवस्था को लेकर यशवंत सिन्हा की आलोचना पर जेटली के तंज का आशय था कि सिन्हा के पास कोई पद नहीं है और अभी 80 साल की उम्र में उनकी कोशिश खुद को लोगों की निगाह में रखने की है. इसीलिए वह आर्थिक नीतियों की आलोचना कर रहे हैं.
इस पर सिन्हा ने कहा था, "वह (जेटली) मेरी पृष्ठभूमि भूल गए हैं. मैंने राजनीति में आने के बाद कई कठिनाइयों का सामना किया है. मैंने अपनी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की नौकरी रिटायर होने से 12 साल पहले छोड़ दी थी. राजनीति में आया तो सत्ता पक्ष के साथ नहीं गया बल्कि विपक्ष में गया. वीपी सिंह की सरकार में राज्य मंत्री का पद नहीं लिया था."
उन्होंने जेटली के एक लोकसभा चुनाव नहीं जीतने को भी रेखांकित किया था. उन्होंने कहा था, "राजनीति में प्रवेश करने के बाद मैंने जल्द ही अपना निर्वाचन क्षेत्र चुना. मैंने एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र चुनने के लिए 25 साल का समय नहीं लिया. जिन्होंने लोकसभा का मुंह नहीं देखा है, वो मुझसे सवाल कर रहे हैं और हमला कर रहे हैं." जेटली ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 2014 में अमृतसर से लड़ा, लेकिन वह हार गए.
'अरुण जेटली सभी को गरीब बनाने पर तुले हैं'
यशवंत सिन्हा ने अर्थव्यवस्था के मसले पर केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए पिछले साल 27 सितंबर को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अपने लेख में कहा था कि बीजेपी में कई लोग यह जानते हैं कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो रही है लेकिन डर के मारे वह बोल नहीं पा रहे हैं. 'I need to speak up now' शीर्षक से प्रकाशित अपने लेख में सख्त लहजे में अर्थव्यवस्था में गिरावट के लिए नोटबंदी और जीएसटी के निर्णयों को जिम्मेदार ठहराया. यशवंत सिन्हा ने लिखा कि नोटबंदी के चलते अर्थव्यवस्था पर बेहद विपरीत असर पड़ा है और वस्तु एवं सेवा कर (GST) का क्रियान्वयन खराब तरीके से किया गया. उन्होंने जीडीपी के आंकड़ों पर भी सवाल उठाए.
अपने लेख के अंत में वित्त मंत्री अरुण जेटली पर तंज कसते हुए कहा था, ''प्रधानमंत्री कहते हैं कि उन्होंने बेहद करीब से गरीबी देखी है. ऐसा लगता है कि उनके वित्त मंत्री भी ओवरटाइम काम कर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी भारतीयों को भी बेहद करीब से इस तरह का अनुभव होना चाहिए.''