Bihar Free bicycles Yojana endorsed by UN: बिहार में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लाई गई एक स्कीम अब अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोर रही है. यहां बात बिहार की छात्राओं को दी जाने वाली फ्री साइकिल योजना की. जिसके प्रभाव की स्टडी के दौरान ये खुलासा हुआ है कि यह महत्वाकांक्षी योजना विदेशों में भी कारगर साबित हुई है. आपको बताते चलें कि इस योजना को जाम्बिया समेत 7 अफ्रीकी देशों में भी लागू किया गया है और अब संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी इस स्कीम की तारीफ करते हुए इस कामयाब मॉडल को प्रमोट किया है. 


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दिग्गजों ने किया स्कीम का मंथन


गौरतलब है कि लड़कियों के लिए मुफ्त साइकिल स्कीम, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रमुख योजनाओं में से एक है जो साल 2006 में शुरू की गई थी. इस योजना के तहत 9वीं से 12वीं कक्षा तक की लड़कियों को स्कूल जाने के लिए मुफ्त साइकिलें दी जाती हैं. अब लड़कियों के लिए साइकिल के बिहार सरकार के इस मॉडल को अफ्रीकी देशों में सफलतापूर्वक दोहराया गया है.


'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर निशीथ प्रकाश ने तीन अन्य रिसर्चर्स के साथ इन नतीजों की जानकारी 'व्हील्स ऑफ चेंज: ट्रांसफॉर्मिंग गर्ल्स लाइव्स विथ साइकिल्स' की रिपोर्ट में दी है. आपको बताते चलें कि प्रोफेसर प्रकाश ने 2017 में एक अन्य शोधकर्ता कार्तिक मुरलीधरन के साथ, एशियाई विकास और अनुसंधान संस्थान (ADRI) पटना के लिए बिहार की साइकिल योजना के प्रभाव का अध्ययन किया था.


स्कीम के फायदे और क्या कहते हैं नतीजे?


प्रकाश के मुताबिक ज़ाम्बिया में बिहार के इस मॉडल के लागू होने के एक साल बाद, स्कूलों में लड़कियों की अनुपस्थिति में 27 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं देर से आने वाली छात्राओं में 66 प्रतिशत की कमी आई है और स्कूलों में छात्राओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. शोध के नतीजों के मुताबिक छात्राओं के गणित परीक्षा के अंकों में सुधार हुआ था. पढ़ाई और शिक्षा की समझ बढ़ने से वहां छात्राओं ने कम उम्र में शादी करने से इनकार कर दिया. इसी तरह से जाम्बिया में गर्भधारण की सही उम्र को लेकर जागरूकता बढ़ी तो इस मॉडल को संयुक्त राष्ट्र ने आगे बढ़ाया तो कुछ और अफ्रीकी देशों में इस ट्रेंड को फॉलो किया.


शोधकर्ताओं के मुताबिक ये योजना शिक्षा में लैंगिक अंतर को कम करने में भी कामयाब रही है. इस प्रोजेक्ट की कामयाबी का जिक्र करते हुए यूएन ने कहा कि इस स्कीम की वजह से स्कूलों में दाखिला लेने वाले लड़कियों की संख्या बढ़ी है. छात्राओं की उपस्थिति में भी इजाफा हुआ है. इस स्कीम से महिलाओं को सशक्त बनाने में भी मदद मिली है.