पढ़ाने को स्टूडेंट नहीं मिले, प्रोफेसर ने लौटाए सैलरी के 24 लाख रुपये; दंग कर देगा ये मामला
Bihar News: बिहार में यह पहला मामला नहीं है जब शिक्षा विभाग को लेकर ऐसी खबर आई हो. बिहार में हमेशा शिक्षा को लेकर शिक्षकों की किरकिरी की खबरें आती रहती हैं.
Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर में एक प्रोफेसर के कदम ने सभी को चौंका दिया है. प्रोफेसर ने क्लास में स्टूडेंट न आने पर अपनी दो साल से ज्यादा की सैलरी कॉलेज प्रशासन को वापस कर दी है. प्रोफेसर ने अपनी दो साल से अधिक की लगभग 24 लाख सैलरी लौटाई है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि प्रोफेसर ने योग्यता के बाद भी योग्य कॉलेज और विभाग नहीं मिलने पर नाराज होकर यह चौंका देने वाला कदम उठाया है. प्रोफेसर ने चेक के माध्यम से करीब ₹24 लाख रुपए विश्वविद्यालय को वापस करने का आवेदन किया है.
क्यों बिहार की शिक्षा पर उठता है सवाल?
बता दें कि बिहार में यह पहला मामला नहीं है जब शिक्षा विभाग को लेकर ऐसी खबर आई हो. बिहार में हमेशा शिक्षा को लेकर शिक्षकों की किरकिरी की खबरें आती रहती हैं. स्कूल-कॉलेज के शिक्षकों पर अक्सर पढ़ाने में रुचि नहीं लेने और मोटी फीस वसूलने के आरोप लगते रहते हैं.
प्रोफेसर ने लौटा दी दो साल की सैलरी
अब इस मामले में सभी के होश उड़ा दिए हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के नीतीश्वर कालेज के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने यह दंग कर देने वाला कदम उठाया है. उन्होंने बताया की उनकी क्लास में स्टूडेंट्स की उपस्थिति लगातार शून्य रहती थी. संबंधित अधिकारियों से इस बारे में चर्चा होने के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो ये कदम उठाना पड़ा. प्रोफेसर ने 2 साल 9 माह के कार्यकाल की पूरी सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए लौटा दी.
जानें प्रोफेसर ने क्या कहा
प्रोफेसर ने मंगलवार को इस राशि का चेक बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. आर के ठाकुर को सौंपा. प्रोफेसर के इस कदम से शिक्षा विभाग में खलबली मच गई. प्रोफेसर ने आगे कहा कि मैं नीतीश्वर कॉलेज में अपने अध्यापन कार्य के प्रति कृतज्ञ महसूस नहीं कर रहा हूं. तो अब यह फैसला लेना पड़ा है. क्योंकि दिल्ली से पढ़ाई करने के बाद बीपीएससी परीक्षा को पास कर यह शिक्षक की नौकरी मिली.उन्होंने कहा कि उन्हें यहां पढ़ाई का माहौल नहीं दिखा तो विश्वविद्यालय से आग्रह किया कि उन्हें उस कॉलेज में स्थानांतरित किया जाए जहां पर एकेडमिक कार्य करने का मौका मिले.उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने इस दौरान 6 बार ट्रांसफर ऑर्डर निकाले लेकिन डॉ. ललन को नजरअंदाज किया.
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