लखनऊ: बिहार चुनाव (Bihar Elections) के परिणाम में भी प्रधानमंत्री मोदी और योगी की जोड़ी का कमाल देखने को मिला. उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की व्यस्तता के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने 17 जिलों में 19 सभाएं की. प्रधानमंत्री की जन सभाओं वाले इलाकों में एनडीए ने जबरदस्त जीत दर्ज की। योगी के प्रचार वाली 19 विधान सभा सीटों में से ज्यादातर पर एनडीए (National Democratic Alliance) के उम्मीदवार चुनाव जीते.


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पीएम मोदी की 12 रैलियों ने बदला खेल
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार चुनाव के चार दिनों में कुल 12 रैलियां कीं. 23 अक्टूबर को सासाराम, गया, भागलपुर, 28 अक्टूबर को दरभंगा, मुजफ्फरपुर और पटना, 1 नवंबर को पूर्वी चंपारण, छपरा और समस्तीपुर; 3 नवंबर को आखिरी चरण में प्रधानमंत्री ने पश्चिम चंपारण, सहरसा और फारबिसगंज में चुनावी जन सभाओं को संबोधित किया.


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पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ का चला जादू
मोदी के चुनाव प्रचार के प्रभाव क्षेत्र में शामिल बिहार की 101 सीटों में ज्यादातर पर एनडीए के उम्मीदवार जीत चुके हैं. योगी की आंधी में राजद और कांग्रेस के कई पुराने गढ़ भी जमींदोज हो गए. बिहार के 17 जिलों की 75 से अधिक विधान सभा क्षेत्रों के चुनाव परिणाम पर योगी इफेक्ट साफ दिखा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में कुल 19 रैलियां की थी. उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के व्यस्त कार्यक्रम और बिहार में एनडीए उम्मीदवारों की जबरदस्त मांग के बीच योगी ने ताबड़तोड़ अंदाज में जन सभाएं की. जंगल राज और भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष पर सीधा हमला बोलने के साथ योगी ने अपनी जन सभाओं में अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास और कश्मीर में धारा 370 हटाने को बड़ा मुद्दा बनाया.


शुरू से आखिर तक योगी आदित्यनाथ रहे सक्रिय
योगी ने 20 और 21 अक्टूबर को कैमूर के रामगढ़, अरवल, रोहतास की काराकाट, जमुई, भोजपुर की तरारी और पटना के पालीगंज में जनसभा कर विपक्ष को बैक फुट पर धकेल दिया. 28 और 29 अक्टूबर को योगी ने सीवान के गोरियाकोठी, पूवी चंपारण के गोविंदगंज, पश्चिमी चंपारण के चनपटिया, सीवान के दरौंदा, वैशाली के लालगंज, मधुबनी के झंझारपुर की जनसभाओं में भारी भीड़ जुटा कर एनडीए के प्रत्याशियों की जीत लगभग तय कर दी थी. 2 नवंबर को योगी ने पश्चिमी चंपारण के वाल्मीकि नगर, रक्सौल, सीतामढ़ी में रैली की तो 4 नवंबर को कटिहार, मधुबनी की बिस्फी, दरभंगा की केवटी और सहरसा की सिमरी बख्तियारपुर विधान सभा की जनसभा से आखिरी पंच लगा दिया.