Awadh Bihari Choudhary: नीतीश कुमार के पाला बदलते ही बिहार की राजनीति अचानक बदल गई. इसी बीच अब बिहार विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया गया है. यह सब इसलिए हुआ है क्योंकि बिहार विधानसभा के स्पीकर इस समय अवध बिहार चौधरी हैं और वे लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से हैं. ऐसे में बीजेपी और जेडीयू की गठबंधन वाली सरकार उन्हें पद पर बने रहना नहीं देखना चाहती है. अब देखना है कि अवध बिहार चौधरी के पास क्या क्या विकल्प हैं. साथ ही यह भी समझेंगे कि विधानसभा स्पीकर को हटाने की प्रक्रिया क्या होती है.


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असल में नई सरकार बनने के बाद अगर नंबरगेम की बात करें तो एनडीए गठबंधन में 128 विधायक हैं. जबकि विपक्ष के पास 114 विधायक बचे हैं. विधानसभा अध्यक्ष विपक्ष कोटे में आ गए हैं. सदन में आंकड़े एनडीए के पक्ष में हैं. इसलिए अवध बिहारी चौधरी का हटना तय है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 179 के खंड (c) में विधानसभा स्पीकर को हटाने की प्रक्रिया का प्रावधान है. यह प्रक्रिया सभी राज्यों में समान है. इस प्रक्रिया के कुछ चरण हैं. 


बीजेपी की तरफ से नोटिस दे दिया गया है
अगर अवध बिहार चौधरी खुद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. बीजेपी ने अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिव को दे दिया. जिसमें जिक्र किया गया है कि विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर अब इस सभा का विश्वास नहीं रह गया है. नोटिस पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी, पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद, जदयू के विनय कुमार, रत्नेश सदा समेत कई और विधायकों के हस्ताक्षर हैं.


अविश्वास प्रस्ताव पेश करना: किसी भी सदस्य को विधानसभा स्पीकर को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का अधिकार है.  अविश्वास प्रस्ताव को लिखित रूप में विधानसभा सचिव को देना होता है.


14 दिन का नोटिस: अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद, स्पीकर को 14 दिन का नोटिस देना होता है. इस दौरान स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पर अपना जवाब दे सकता है.
मतदान: 14 दिन के बाद, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान किया जाता है. मतदान में उपस्थित सभी सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता होती है. यदि स्पीकर के खिलाफ बहुमत मिलता है, तो उन्हें पद से हटा दिया जाता है.


मतदान: विशेष सत्र में, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होता है. इस मतदान में, विधानसभा के सभी सदस्य भाग ले सकते हैं. यदि प्रस्ताव बहुमत से पारित हो जाता है, तो स्पीकर पद से हटा दिया जाता है. मतदान में यदि विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 100 से कम है, तो अविश्वास प्रस्ताव को कम से कम 1/5 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है. यदि विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 100 से अधिक है, तो अविश्वास प्रस्ताव को कम से कम 1/10 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है.


यह भी नयम है कि अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया के दौरान वो सदन की कार्यवाही को नहीं संचालित कर सकेगा. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 181 में यह साफ किया गया है कि अविश्वास की प्रक्रिया के दौरान अध्यक्ष सदन की कार्यवाही का संचालन नहीं कर सकेगा, लेकिन सदन में बोलने और कार्यवाही में हिस्सा लेने का अधिकार होगा.