केरल में आज वायनाड लोकसभा उपचुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. यहां की चेलक्करा विधानसभा सीट पर भी मतदान हो रहा है. ऐसे में ज्यादातर लोगों के मन में यह बात होगी कि राहुल गांधी की छोड़ी सीट को हथियाना भाजपा का सबसे बड़ा लक्ष्य होगा लेकिन अंदर की कहानी कुछ और है. दरअसल, वायनाड नहीं, केरल की कोई और सीट है जो इस बार भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है. पार्टी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. वो सीट है पलक्कड़ की. यहां उपचुनाव के लिए वोटिंग 20 नवंबर को होगी. आपके मन में सवाल होगा कि यहां ऐसा क्या है, जो वायनाड के बराबर में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह है भाजपा का समझे जाना वाला हिंदू वोटर.  


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हिंदू वोटर सबसे महत्वपूर्ण


हां, पलक्कड़ विधानसभा सीट पर 70 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू वोटर हैं. 2021 में यहां से भाजपा के कैंडिडेट 'मेट्रोमैन' ई. श्रीधरन महज 3859 वोट से चुनाव हार गए थे. आज वायनाड और चेलक्करा में मतदान के साथ ही पूरा फोकस पलक्कड़ पर शिफ्ट हो गया है. भाजपा के लिए चुनौती यह है कि हिंदू बहुल सीट होने के बाद भी दो बार से पार्टी यहां दूसरे नंबर पर ही आ रही है.


पलक्कड़ में भाजपा का लिटमस टेस्ट


इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है. भाजपा उम्मीदवार सी कृष्णकुमार, कांग्रेस के राहुल मामकूटाथिल और लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के पी सरीन मैदान में हैं. कृष्णकुमार 2019 में पलक्कड़ लोकसभा सीट से लड़े थे. उन्होंने 2016 के राज्य चुनावों में अनुभवी सीपीआई (एम) नेता वी. एस. अच्युतानंदन को मलम्पुझा सीट से कड़ी चुनौती दी थी.


हालांकि केरल भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है क्योंकि पार्टी कार्यकर्ता कृष्णकुमार की उम्मीदवारी से खुश नहीं हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक वकील और राजनीतिक पर्यवेक्षक बी. एन. शिवशंकर ने कहा कि भाजपा के लिए वारियर कृष्णकुमार से बेहतर उम्मीदवार होते. उन्होंने कहा, 'संदीप वारियर एक बेहतर उम्मीदवार हैं क्योंकि वह न केवल जनता के बीच, बल्कि जमीनी स्तर के भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच भी लोकप्रिय हैं.'


शिवशंकर के अनुसार, कृष्णकुमार विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए अड़चन हैं. इनका कहना है कि कृष्णकुमार के पास केवल नेतृत्व का समर्थन है. वह पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच बहुत लोकप्रिय नहीं हैं. पिछले कुछ चुनावों में वोट शेयर में लगातार वृद्धि के साथ, भाजपा पलक्कड़ के रास्ते राज्य विधानसभा में प्रवेश करना चाहती है. पार्टी के लिए मतदाता फेवर में हैं.


भाजपा यह दिखाना चाहती है कि नेमोम (तिरुवनंतपुरम जिले में Nemom) सीट पर जीत अचानक नहीं थी, बल्कि पार्टी को राज्य में तीसरे मोर्चे के रूप में स्थापित करने की दिशा में पहला कदम था.